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गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे: उत्तर प्रदेश और बिहार की कनेक्टिविटी में सुधार

गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे परियोजना, जो लगभग 550 किलोमीटर लंबी होगी, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच कनेक्टिविटी को मजबूत करने का लक्ष्य रखती है। इस महत्वाकांक्षी योजना की लागत ₹37,500 करोड़ है और इसमें कोई बड़ा मोड़ नहीं होगा, जिससे यात्रा आसान होगी। प्रशासन ने परियोजना की प्रगति को तेज कर दिया है, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। जानें इस परियोजना के बारे में और कैसे यह स्थानीय निवासियों के लिए परिवहन को सुगम बनाएगी।
 

महत्वाकांक्षी एक्सप्रेसवे परियोजना


उत्तर प्रदेश समाचार: भारत सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना लगभग 550 किलोमीटर लंबी होगी, जिसकी अनुमानित लागत ₹37,500 करोड़ है। इस मार्ग में कहीं भी बड़ा मोड़ नहीं होगा, जिससे यात्रा और भी सरल और तेज हो जाएगी।


परियोजना की प्रगति

सुपौल जिले में गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य को प्रशासन ने तेजी से आगे बढ़ाया है। रविवार को जिलाधिकारी सावन कुमार ने फिक्स अलाइनमेंट वाली मौजा का निरीक्षण किया और राघोपुर अंचलाधिकारी को प्लॉट वेरिफिकेशन के निर्देश दिए। यह एक्सप्रेसवे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वपूर्ण योजना का हिस्सा है, और इसके पूरा होने पर उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच कनेक्टिविटी में सुधार होगा।


भूमि अधिग्रहण और मार्ग

सुपौल जिले में एक्सप्रेसवे का मार्ग और भूमि अधिग्रहण

जिलाधिकारी के अनुसार, यह एक्सप्रेसवे कई प्रखंडों से होकर गुजरेगा, जिसमें निर्मली प्रखंड के डगमरा और सिकरहट्टा, सरायगढ़ के कवियाही, करहरी, वैसा, सदानंदपुर, शाहपुर-पृथ्वीपट्टी, राघोपुर प्रखंड के मोतीपुर, हरपुर, नरहा, सीताराम चकला, विशनपुर दौलत, प्रतापगंज प्रखंड के श्रीपुर और गोविंदपुर, तथा छातापुर प्रखंड के कलिकापुर, डोररा, क्योला और भीमपुर शामिल हैं। इस परियोजना के लिए लगभग 281.48 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जाएगी।


क्षेत्रीय विकास में योगदान

गोरखपुर–सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा

एक्सप्रेसवे के निर्माण से बिहार और उत्तर प्रदेश के निवासियों के लिए आवागमन और परिवहन में सुगमता आएगी। इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी, भूमि की कीमतों में वृद्धि होगी, किसानों की आय में सुधार होगा और नए रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। यह परियोजना गोरखपुर से सिलीगुड़ी को जोड़कर न केवल बिहार और यूपी, बल्कि पश्चिम बंगाल तक की यात्रा को भी सरल बनाएगी। इसके पूरा होने से पूरे क्षेत्र के विकास की गति तेज होने की उम्मीद है।