तालिबान का महिलाओं की शिक्षा पर नया प्रतिबंध: 140 किताबें और 18 विषय प्रतिबंधित
तालिबान का नया आदेश
अफगानिस्तान समाचार: तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं द्वारा लिखी गई 140 किताबों और 18 विषयों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनमें मानवाधिकार, लैंगिक अध्ययन और महिलाओं की समाजशास्त्र शामिल हैं। यह आदेश अगस्त 2025 में जारी किया गया, जिसका उद्देश्य तालिबान की नीतियों और शरिया कानून के खिलाफ माने जाने वाले विषयों को हटाना है। इसके साथ ही, ईरानी लेखकों की 310 किताबों पर भी रोक लगाई गई है। यह कदम महिलाओं की शिक्षा और बौद्धिक स्वतंत्रता पर गंभीर आघात है.
महिलाओं की शिक्षा पर संकट
तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से महिलाओं की शिक्षा पर कई पाबंदियां लगाई गई हैं। छठी कक्षा से आगे लड़कियों को पढ़ाई की अनुमति नहीं है। 2024 में मिडवाइफरी पाठ्यक्रम, जो महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण थे, बंद कर दिए गए। हाल ही में आए भूकंप में भी तालिबान के सख्त नियमों का दुखद परिणाम देखने को मिला, जब मलबे में फंसी महिलाओं को गैर-महिलाओं द्वारा छूने की मनाही के कारण समय पर मदद नहीं मिली। यह स्थिति 43 मिलियन की आबादी वाले देश में, जहां लगभग आधी आबादी महिलाएं हैं, बेहद चिंताजनक है.
प्रतिबंधित विषय और किताबें
तालिबान ने उन विषयों और किताबों को निशाना बनाया है, जो उनकी विचारधारा के खिलाफ माने जाते हैं। मानवाधिकार, यौन उत्पीड़न, और महिलाओं की संचार में भूमिका जैसे विषय अब पाठ्यक्रम से हटा दिए गए हैं। यहां तक कि 'सेफ्टी इन द केमिकल लेबोरेटरी' जैसी वैज्ञानिक किताबों को भी 'तालिबान विरोधी' बताकर प्रतिबंधित कर दिया गया है। इसके साथ ही, ईरानी लेखकों की 310 किताबों पर रोक लगाकर तालिबान ने 'ईरानी प्रभाव' को रोकने की बात कही है। यह कदम अफगान शिक्षा को वैश्विक स्तर से और अलग कर रहा है.
तालिबान का बचाव और आलोचकों की प्रतिक्रिया
तालिबान का दावा है कि वह इस्लामी कानून के दायरे में महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करता है। लेकिन शिक्षाविदों और लेखकों का कहना है कि यह नीति महिलाओं को पूरी तरह से पाठ्यक्रम से मिटाने की कोशिश है। पूर्व न्याय उपमंत्री ज़किया अदेली, जिनकी किताब भी प्रतिबंधित है, ने कहा कि यह निर्णय तालिबान की पुरानी नीतियों का ही हिस्सा है। उनका कहना है कि तालिबान शुरू से ही महिलाओं को शिक्षा से वंचित करने पर तुला है.
शिक्षकों की चुनौतियाँ
काबुल विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने बताया कि शिक्षकों को अब खुद पाठ्यपुस्तकों के अध्याय तैयार करने पड़ रहे हैं, लेकिन तालिबान की पाबंदियों के कारण अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करना लगभग असंभव है। ईरानी किताबों पर रोक ने भी अफगानिस्तान को वैश्विक अकादमिक समुदाय से और अलग कर दिया है। शिक्षक और छात्र दोनों इस संकट से जूझ रहे हैं, जहां भविष्य की राह अनिश्चित दिख रही है.