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प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिटेन और मालदीव यात्रा: आर्थिक और सामरिक साझेदारी को बढ़ावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 से 26 जुलाई तक ब्रिटेन और मालदीव की यात्रा पर जाएंगे। इस यात्रा का उद्देश्य भारत के आर्थिक और सामरिक संबंधों को मजबूत करना है। ब्रिटेन में, मोदी व्यापार, रक्षा और जलवायु जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे, जबकि मालदीव में वे स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। यह यात्रा भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति को भी रेखांकित करती है। जानें इस यात्रा के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।
 

प्रधानमंत्री मोदी की आगामी यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 से 26 जुलाई तक ब्रिटेन और मालदीव की यात्रा पर जाएंगे, जैसा कि विदेश मंत्रालय ने रविवार को बताया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत के आर्थिक, सामरिक और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना है। मोदी 23 और 24 जुलाई को ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के निमंत्रण पर ब्रिटेन में रहेंगे। यह उनकी चौथी यात्रा है और 2018 के बाद पहली बार है।


ब्रिटेन में चर्चा के विषय

विदेश मंत्रालय के अनुसार, मोदी और स्टार्मर व्यापार, रक्षा, जलवायु परिवर्तन, नवाचार और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, वे किंग चार्ल्स तृतीय से भी मुलाकात करेंगे। इस यात्रा के दौरान, भारत और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से लंबित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर औपचारिक हस्ताक्षर होने की संभावना है, जिस पर मई में सहमति बनी थी। यह समझौता भारत के 99% निर्यात पर शुल्क को समाप्त या कम करेगा और ब्रिटिश उत्पादों जैसे व्हिस्की, ऑटोमोबाइल और वित्तीय सेवाओं के लिए भारतीय बाजार में बेहतर पहुंच प्रदान करेगा।


मालदीव में स्वतंत्रता दिवस समारोह

इसके बाद, 25 और 26 जुलाई को, प्रधानमंत्री मोदी मालदीव के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जु के निमंत्रण पर राजकीय यात्रा पर जाएंगे। वे 26 जुलाई को मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे, जो मुइज्जु के कार्यकाल में किसी विदेशी नेता की पहली यात्रा होगी। मोदी और मुइज्जु भारत-मालदीव संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा करेंगे।


भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति

यह यात्रा मालदीव में 'इंडिया आउट' अभियान के कारण दोनों देशों के बीच संबंधों में आई गिरावट को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि यह यात्रा भारत की 'पड़ोसी पहले' नीति और विजन महासागर को रेखांकित करती है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के सामरिक फोकस को पुनः स्थापित करती है। यह यात्रा संसद के मानसून सत्र के दौरान होगी, जो 21 जुलाई से शुरू हो रहा है।