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फिरौन: इस्लाम में नफरत का प्रतीक और उसकी ममी का रहस्य

फिरौन, एक ऐसा नाम जो इस्लाम में नफरत का प्रतीक बन चुका है। उसकी ममी आज भी मिस्र के संग्रहालय में सुरक्षित है, जो इतिहास, आस्था और विज्ञान का अद्भुत मिलन प्रस्तुत करती है। जानें क्यों कुरान में फिरौन का अंत महत्वपूर्ण है और मुसलमानों के दिल में उसकी छवि कैसी है। यह लेख आपको फिरौन की कहानी और उसकी ममी के रहस्य के बारे में जानकारी देगा।
 

फिरौन का अत्याचार और उसकी विरासत

दुनिया के कई शासकों ने अपने अत्याचारों से कुख्याति प्राप्त की है, लेकिन फिरौन का नाम इस्लाम के अनुयायियों के लिए विशेष रूप से नफरत का प्रतीक है। कुरान और बाइबिल दोनों में उसका उल्लेख मिलता है, और उसे अल्लाह के आदेशों का उल्लंघन करने वाला सबसे घमंडी शासक माना जाता है।


फिरौन की ममी: एक अद्भुत रहस्य

यह चौंकाने वाला है कि हजारों साल बाद भी फिरौन की ममी एक कांच के ताबूत में सुरक्षित है। यह ममी मिस्र के संग्रहालय में रखी गई है और यह इतिहास, आस्था और विज्ञान का अद्भुत संगम प्रस्तुत करती है। आइए जानते हैं कि इस्लाम में फिरौन को क्यों सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है।


कुरान में फिरौन का अंत

इस्लाम के अनुसार, फिरौन ने खुद को ईश्वर घोषित किया और हज़रत मूसा (अलैहिस्सलाम) और उनके अनुयायियों पर अत्याचार किया। जब मूसा अपनी कौम को मिस्र से बाहर ले जाने लगे, तो फिरौन ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। लेकिन जब वह समुद्र में प्रवेश किया, तो लहरों ने उसे और उसकी सेना को निगल लिया। कुरान में कहा गया है कि अल्लाह ने फिरौन की लाश को आने वाली पीढ़ियों के लिए सबक के तौर पर सुरक्षित रखा।


वैज्ञानिक प्रमाण

इतिहासकारों और वैज्ञानिकों का मानना है कि फिरौन की ममी काहिरा के संग्रहालय में रखी गई है। यह ममी संभवतः रमसेस द्वितीय या मर्नप्तह की हो सकती है, जो मूसा के समय का फिरौन था। वैज्ञानिक जांच से पता चला है कि उसकी मृत्यु या तो डूबने से हुई या अचानक सदमे के कारण। यह खोज कुरान के उस कथन को भी समर्थन देती है जिसमें कहा गया है कि फिरौन का शरीर समुद्र से निकाला गया और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा गया।


फिरौन के प्रति मुसलमानों की नफरत

मुसलमान फिरौन को केवल एक राजा नहीं, बल्कि अत्याचार, घमंड और अल्लाह की अवहेलना का प्रतीक मानते हैं। उसने हज़रत मूसा की बातों को अनसुना किया, खुद को भगवान समझा और निर्दोष लोगों पर अत्याचार किया। इसलिए इस्लाम में उसे सबसे बड़ा ज़ालिम और दुश्मन माना जाता है।


फिरौन की ममी आज भी मौजूद

फिरौन की ममी आज भी काहिरा के ममीफिकेशन म्यूज़ियम में कांच के ताबूत में रखी हुई है। लोग इसे देखकर इतिहास और आस्था के इस अद्भुत मिलन को समझने का प्रयास करते हैं। यह ममी यह संदेश देती है कि जब इंसान अपनी सीमाएं पार करता है और खुद को भगवान समझने लगता है, तो उसका अंत क्या होता है।