बेंगलुरु विश्वविद्यालय में आवारा कुत्ते का हमला: छात्राओं की सुरक्षा पर सवाल
दर्दनाक घटना का सामना
बेंगलुरु विश्वविद्यालय के परिसर में मंगलवार को एक गंभीर घटना हुई, जब एक आवारा कुत्ते ने दो छात्राओं पर हमला कर दिया। यह घटना सुबह लगभग 11 बजे के आसपास हुई, जब डॉ. बी.आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की छात्राएं सौजन्या जी.जे. और रेगा निक्षिता कॉलेज में मौजूद थीं। दोनों छात्राएं अर्थशास्त्र एम.एस.सी. के तीसरे वर्ष की छात्राएं हैं।
एक छात्रा की स्थिति चिंताजनक
कुत्ते के हमले में सौजन्या गंभीर रूप से घायल हो गईं और उन्हें तुरंत एक निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया। वहीं, रेगा को भी चोटें आई हैं और उनका इलाज जारी है। इस घटना ने विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप मचा दिया और छात्रों के बीच भय का माहौल उत्पन्न कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
यह घटना उस समय हुई है जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के नगर निगमों को आवारा कुत्तों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि कुत्तों को संवेदनशील क्षेत्रों से हटाना, उनकी नसबंदी करना और उन्हें स्थायी आश्रय प्रदान करना आवश्यक है।
कानूनी चेतावनी
अदालत ने चेतावनी दी है कि यदि इस प्रक्रिया में कोई बाधा उत्पन्न होती है, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय जनता की सुरक्षा के लिए है, विशेष रूप से बच्चों और शिशुओं को रेबीज और हमलों से बचाने के लिए।
स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी
बेंगलुरु की यह घटना स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है। विश्वविद्यालय परिसर जैसे सुरक्षित स्थान पर आवारा कुत्तों की उपस्थिति और हमले ने नगर निगम की निगरानी पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। छात्रों और अभिभावकों में चिंता है कि यदि कैंपस में ऐसी घटनाएं हो सकती हैं, तो अन्य सार्वजनिक स्थलों की स्थिति क्या होगी?
सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता
इस घटना के बाद आम जनता और शिक्षण संस्थानों ने सरकार और नगर निगम से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की मांग की है। केवल सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना ही नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर भी प्रभावी कदम उठाना आवश्यक है। नसबंदी, टीकाकरण और आश्रय जैसे उपायों को तेजी से लागू करने की आवश्यकता है।