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भारत और ओमान के बीच व्यापारिक संबंधों में नई शुरुआत

भारत और ओमान के बीच हाल ही में हुए मुक्त व्यापार समझौते ने भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसरों का द्वार खोला है। यह समझौता न केवल व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि मध्य पूर्व और अफ्रीका के बाजारों में भारत की स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह द्विपक्षीय व्यापार को नई गति देगा। जानें इस समझौते के पीछे की कहानी और इसके संभावित लाभ।
 

ओमान: भारत का व्यापारिक प्रवेश द्वार


मध्य पूर्व और अफ्रीका के लिए भारत का महत्वपूर्ण गेटवे


पिछले कुछ महीनों में वैश्विक व्यापार की स्थिति में तेजी से बदलाव आया है। अमेरिका की टैरिफ नीति ने अन्य देशों को अपने व्यापारिक दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया है। भारत भी उन देशों में शामिल है, जिन पर अमेरिकी टैरिफ का गहरा प्रभाव पड़ा है। अगस्त में जब अमेरिका ने भारत पर उच्च टैरिफ लगाए, तो भारत ने तुरंत अपने व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए।


भारत ने उन व्यापारिक समझौतों पर ध्यान केंद्रित किया, जो कई वर्षों से लंबित थे। इस समय, भारत लगभग 50 देशों के साथ व्यापार वार्ता कर रहा है, जिनमें से कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते की संभावना है। ओमान भी इनमें से एक है। हाल ही में, भारत और ओमान के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री और ओमान के सुल्तान भी उपस्थित थे।


भारतीय निर्यातकों के लिए नए अवसर

यह समझौता भारतीय निर्यातकों के लिए कई नए अवसर लेकर आया है। ओमान के साथ यह पहला द्विपक्षीय व्यापार समझौता है, जो 2006 में अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद किया गया है। ओमान भारत के लिए मध्य पूर्व और अफ्रीका के बाजारों में प्रवेश का एक महत्वपूर्ण द्वार है। ओमान में 6,000 से अधिक भारतीय व्यवसाय सक्रिय हैं। यह भारत का ब्रिटेन के बाद दूसरा बड़ा व्यापारिक समझौता है, जो भारत की वैश्विक व्यापार रणनीति को दर्शाता है। दोनों देशों ने भविष्य में ओमान की सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के समन्वय पर चर्चा करने पर भी सहमति जताई है।


प्रधानमंत्री मोदी का बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मस्कट में भारत-ओमान व्यापार मंच को संबोधित करते हुए कहा कि यह व्यापक आर्थिक साझेदारी (सीईपीए) द्विपक्षीय व्यापार और निवेश में नई ऊर्जा लाएगी। उन्होंने दोनों देशों के बीच सदियों पुराने समुद्री व्यापारिक संबंधों का उल्लेख किया और कहा कि यह संबंध आज के वाणिज्यिक आदान-प्रदान की नींव हैं। मोदी ने कहा कि 70 वर्षों के राजनयिक संबंध विश्वास और मित्रता का प्रतीक हैं। यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को नई गति देगा और निवेश में विश्वास पैदा करेगा।