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कर्मचारी ने AI से बनाई नकली चोट, HR को किया चकमा

एक अनोखी घटना में, एक कर्मचारी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग कर नकली चोट की तस्वीर बनाई और HR को धोखा दिया। इस घटना ने कॉरपोरेट क्षेत्र में वेरिफिकेशन सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। सोशल मीडिया पर यह मामला तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि AI तकनीकें अब असली और नकली के बीच का अंतर पहचानना मुश्किल बना रही हैं। क्या कंपनियों को अब नई तकनीकों को अपनाना होगा? जानें पूरी कहानी में।
 

नई दिल्ली में अनोखी घटना


नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक कर्मचारी ने छुट्टी लेने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग किया, जिससे HR भी धोखे में आ गया। इस व्यक्ति ने अपने हाथ की एक नकली चोट की तस्वीर AI से बनाई और उसे वॉट्सऐप के माध्यम से भेजकर मेडिकल लीव की मांग की। इस मामले ने कॉरपोरेट क्षेत्र में वेरिफिकेशन सिस्टम को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर दी हैं।


कैसे हुआ धोखा?

इस घटना की जानकारी X पर साझा की गई। पोस्ट के अनुसार, कर्मचारी ने पहले अपने हाथ की एक सामान्य तस्वीर ली, जिसमें कोई चोट का निशान नहीं था। फिर उसने एक AI टूल का उपयोग किया और उसमें एक प्रॉम्प्ट लिखा, जिसमें हाथ पर चोट लगाने की रिक्वेस्ट की गई। AI ने कुछ ही सेकंड में एक यथार्थवादी तस्वीर तैयार की, जिसमें हाथ पर गहरी चोट दिखाई दे रही थी। इस तस्वीर को कर्मचारी ने अपनी कंपनी के HR को भेज दिया और मेडिकल लीव की मांग की।




HR की गलती

HR ने बिना किसी अतिरिक्त जांच के उस फोटो को असली मान लिया और तुरंत छुट्टी मंजूर कर दी। यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है, और लोग इस बात से चकित हैं कि AI अब इतनी स्पष्ट तस्वीरें बना सकता है कि असली और नकली के बीच का अंतर पहचानना मुश्किल हो गया है। यह घटना उन कंपनियों के लिए एक चेतावनी है जो अभी भी पुराने वेरिफिकेशन सिस्टम पर निर्भर हैं।


AI की चुनौती

भविष्य में, AI द्वारा बनाई गई फर्जी तस्वीरें कॉरपोरेट, इंश्योरेंस और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती हैं। पहले जहां फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट या झूठे दावों का खतरा सीमित था, अब AI टूल्स ने इस प्रक्रिया को बेहद सरल बना दिया है। इस घटना के प्रकाश में आने के बाद, कई लोग यह भी कह रहे हैं कि 2025 में आंखों देखी चीज भी भरोसेमंद नहीं रह गई है।


सोशल मीडिया पर यह चर्चा भी चल रही है कि कंपनियों को अब फोटो के बजाय वीडियो वेरिफिकेशन, लाइव लोकेशन या AI डिटेक्शन तकनीक अपनानी चाहिए। हालांकि, इस मामले में कर्मचारी की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन उसकी AI ट्रिक ने कॉरपोरेट जगत को सोचने पर मजबूर कर दिया है।