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गुजरात में डॉक्टर पर हमले का वीडियो वायरल, रेजिडेंट डॉक्टरों में आक्रोश

गुजरात में राजकोट सिविल अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में एक डॉक्टर पर हमले का वीडियो वायरल हो गया है, जिससे रेजिडेंट डॉक्टरों में आक्रोश फैल गया है। उन्होंने मरीजों और डॉक्टरों की सुरक्षा बढ़ाने की मांग की है। इस घटना के बाद, सोशल मीडिया पर भी इस पर चर्चा हो रही है, जहां कुछ लोग डॉक्टरों की स्थिति में सुधार की मांग कर रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 75% डॉक्टरों ने कार्यस्थल पर हिंसा का सामना किया है। जानें इस गंभीर मुद्दे के बारे में और अधिक।
 

गुजरात में डॉक्टर पर हमला


गुजरात : रविवार को राजकोट सिविल अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में एक डॉक्टर पर हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है। इस वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि एक मरीज के रिश्तेदार ने डॉक्टर के साथ तीखी बहस के बाद उन पर हमला कर दिया। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है।


रेजिडेंट डॉक्टरों का आक्रोश

इस घटना के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों में गहरा आक्रोश फैल गया है। उन्होंने मरीजों और चिकित्सकों की सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। यह ध्यान देने योग्य है कि डॉक्टरों और मरीजों के बीच इस तरह की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं। कई बार ऐसी झड़पें देखने को मिलती हैं।


सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर @Lap_surgeon ने इस वीडियो को साझा करते हुए लिखा, "यह बेहद खतरनाक है! डॉक्टर पर हमला हो रहा है, जबकि युवक को बचाया जा रहा है। यह घटना राजकोट मेडिकल कॉलेज अस्पताल की है।" वीडियो पर लगातार टिप्पणियाँ आ रही हैं, जहां कुछ लोग डॉक्टरों की स्थिति में सुधार की मांग कर रहे हैं, वहीं कुछ डॉक्टर को दोषी ठहरा रहे हैं।




भारत में डॉक्टरों पर हमले का बढ़ता खतरा

हिंसा का व्यापक पैमाना


एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 75% डॉक्टरों ने अपने कार्यस्थल पर किसी न किसी प्रकार की हिंसा या दुर्व्यवहार का सामना किया है, जिसमें शाब्दिक अपशब्द, धमकी या शारीरिक उत्पीड़न शामिल हैं। यह आंकड़ा वैज्ञानिक अनुसंधान और स्वास्थ्य पेशेवरों के अनुभव पर आधारित है।


काम के दौरान असुरक्षित महसूस करना


इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 35% डॉक्टर विशेष रूप से रात की ड्यूटी के दौरान खुद को असुरक्षित मानते हैं। कई डॉक्टरों ने यह भी बताया कि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए चाकू या पेपर स्प्रे जैसी चीजें साथ ले जानी पड़ती हैं।


चिकित्सकीय कार्यस्थल पर भय और तनाव


एक अन्य सर्वेक्षण में पाया गया कि 58.2% डॉक्टर काम के दौरान असुरक्षित महसूस करते हैं, और 78.4% स्वास्थ्यकर्मियों ने कहा है कि उन्हें ड्यूटी के दौरान धमकाया गया है या धमकी का अनुभव हुआ है।


हिंसा के पीछे मुख्य कारण


विशेषज्ञों के अनुसार, जितना अधिक रोगी लोड और आकस्मिक उपचार (जैसे इमरजेंसी वार्ड) में सेवाएँ होती हैं, उतनी ही हिंसा की घटनाएं बढ़ती हैं। अधिकांश हमले मरीज के रिश्तेदारों द्वारा किए जाते हैं, जब अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते या संचार में बाधा आती है।