2025 की पासपोर्ट रैंकिंग: भारत की स्थिति में गिरावट, सिंगापुर शीर्ष पर
पासपोर्ट: यात्रा की कुंजी
आपका पासपोर्ट केवल एक तस्वीर वाला दस्तावेज नहीं है; यह वास्तव में आपकी यात्रा की संभावनाओं का दरवाजा खोलता है। यह निर्धारित करता है कि आप कितनी आसानी से विभिन्न देशों की सीमाएँ पार कर सकते हैं, नए व्यवसायिक अवसरों का लाभ उठा सकते हैं, या यात्रा के नए स्थलों की खोज कर सकते हैं। कुछ पासपोर्ट बिना किसी कठिनाई के दुनिया के अधिकांश हिस्सों में पहुँचने की अनुमति देते हैं, जबकि अन्य केवल कुछ ही दरवाजे खोल पाते हैं। 2025 की पासपोर्ट रैंकिंग वैश्विक शक्ति संतुलन में हो रहे परिवर्तनों का एक दिलचस्प दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। पश्चिमी देशों का पारंपरिक वर्चस्व कम हो रहा है, जबकि एशिया और यूरोप से नए नेता उभर रहे हैं। आइए जानते हैं कि वर्तमान में किन देशों के पास सबसे अधिक मांग वाले यात्रा दस्तावेज हैं और किन देशों के नागरिकों को वीज़ा आवेदनों और अस्वीकृतियों का सामना करना पड़ता है।
भारत की रैंकिंग में गिरावट
हेनली पासपोर्ट इंडेक्स के अक्टूबर 2025 के अपडेट में भारतीय पासपोर्ट की स्थिति में गिरावट आई है। भारत 2024 में 80वें स्थान पर था, लेकिन अब 5 पायदान गिरकर 85वें स्थान पर पहुँच गया है। वर्तमान में, भारतीय नागरिक केवल 57 से 59 देशों में बिना वीजा या वीजा-ऑन-अराइवल यात्रा कर सकते हैं। यह गिरावट महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दौरान कई एशियाई और अफ्रीकी देशों ने नए वीजा-फ्री समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं और अपनी रैंकिंग में सुधार किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की गिरावट के तीन मुख्य कारण हैं: कुछ देशों ने पारस्परिकता के आधार पर वीजा नियमों को सख्त किया है, भारत की वीजा नीति काफी सतर्क है, और वैश्विक कूटनीति में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, जिसमें चीन और यूएई जैसे देश तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।
सिंगापुर का शीर्ष स्थान
सिंगापुर एक बार फिर से दुनिया का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट बन गया है। जापान और दक्षिण कोरिया भी इस सूची में शीर्ष स्थान पर हैं।
अमेरिका को झटका
अमेरिकी पासपोर्ट अब 12वें स्थान पर है। सख्त वीजा नियम, बढ़ी हुई फीस और अलगाववादी नीतियों ने अमेरिका की पासपोर्ट ताकत को कमजोर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलते वैश्विक शक्ति संतुलन का स्पष्ट संकेत है।