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Afghanistan के विदेश मंत्री मौलाना मुत्तकी का दारुल उलूम दौरा: शिक्षा और संस्कृति पर चर्चा

तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलाना अमीर खान मुत्तकी का दारुल उलूम दौरा इस्लामी शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए महत्वपूर्ण है। वे वरिष्ठ उलेमाओं से मिलेंगे और छात्रों को संबोधित करेंगे। इस दौरे से भारत में अफगान छात्रों के लिए नए शैक्षणिक अवसरों की उम्मीद जगी है। जानें इस ऐतिहासिक स्थल और इसके महत्व के बारे में।
 

मौलाना अमीर खान मुत्तकी का दारुल उलूम में आगमन


Afghanistan Foreign Minister: तालिबान सरकार के विदेश मंत्री मौलाना अमीर खान मुत्तकी आज दारुल उलूम का दौरा करेंगे। इस दौरान, वे इस्लामी शिक्षा के प्रमुख केंद्र के वरिष्ठ उलेमाओं से मुलाकात करेंगे और छात्रों को संबोधित करेंगे। दारुल उलूम प्रशासन ने उनके स्वागत के लिए 15 प्रमुख उलेमाओं की एक सूची जारी की है।


भारत में शिक्षा के नए अवसर

मौलाना मुत्तकी, जो 2021 से अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के विदेश मंत्री हैं, हाल ही में दिल्ली आए थे। वहां उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और वीजा विस्तार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक के बाद, अफगान छात्रों के लिए भारत में इस्लामी शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अध्ययन के नए अवसरों की उम्मीद जगी है।


दारुल उलूम में स्वागत और संबोधन

दारुल उलूम के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने शुक्रवार को 15 वरिष्ठ उलेमाओं की सूची जारी की, जो अफगानी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करेंगी। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मुलाकात के बाद, मौलाना मुत्तकी दारुल उलूम के छात्रों को नवनिर्मित लाइब्रेरी के हॉल में संबोधित करेंगे। इस पहल से छात्रों के लिए नए शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के द्वार खुलने की संभावना है।


दारुल उलूम का ऐतिहासिक महत्व

अफगानिस्तान के बादशाह की याद में दारुल उलूम का ऐतिहासिक स्थल: दारुल उलूम में अफगानिस्तान के अंतिम बादशाह मोहम्मद जहीर शाह की याद में बाब-ए-जहीर नामक एक गेट स्थापित किया गया है। 25 फरवरी 1958 को जहीर शाह ने कुरआन की तालीम पाने वाले बच्चों के लिए 25 फीट ऊंचे इस गेट का निर्माण कराया था, जिसमें दोनों ओर आठ कमरे भी बनाए गए थे ताकि बच्चे आराम से पढ़ाई कर सकें।


बाब-ए-जहीर गेट का संरक्षण

बाब-ए-जहीर गेट का संरक्षण और विवाद: 2006 में इस 67 वर्ष पुराने निर्माण को हटाने की कोशिश की गई थी, लेकिन उस समय के पदच्यूत अफगान बादशाह ने इसे हटाने से मना कर दिया था। 2007 में उनके निधन के बाद भी यह गेट बना रहा। वर्तमान में, दारुल उलूम में इस गेट के दोनों ओर और पीछे विशाल लाइब्रेरी का निर्माण किया गया है। मौलाना अमीर खान मुत्तकी इसी गेट से होकर नवनिर्मित लाइब्रेरी भवन तक पहुंचेंगे, जहां वे छात्रों को संबोधित करेंगे।