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73 वर्षीय हरजीत कौर की अमेरिका से भारत वापसी: एक क्रूर कहानी

73 वर्षीय हरजीत कौर की अमेरिका से भारत वापसी की कहानी ने मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर किया है। अमेरिका में 34 साल बिताने के बाद, उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में वापस भेजा गया। उनके वकील ने इस प्रक्रिया को 'क्रूर' बताया है, जबकि उनके परिवार ने कमर्शियल फ्लाइट से वापसी का अनुरोध किया था। इस मामले ने सिख कोएलिशन जैसे अधिकार संगठनों का ध्यान आकर्षित किया है, जो न्याय की लड़ाई जारी रखने का वादा कर रहे हैं। हरजीत कौर का यह दुखद अनुभव प्रवासियों के लिए एक चेतावनी है।
 

चंडीगढ़ की हरजीत कौर की कहानी

चंडीगढ़ समाचार: 73 वर्षीय हरजीत कौर, जो 34 वर्षों तक अमेरिका में रहीं, को एक ऐसी स्थिति में भारत भेजा गया जिसे उनके वकील ने 'अत्यंत क्रूर' बताया है। हरजीत कौर 1991 में एक अकेली मां के रूप में अमेरिका गई थीं। उन्होंने एक भारतीय साड़ी की दुकान में काम किया, टैक्स भरा और स्थानीय गुरुद्वारों में स्वयंसेवी कार्य भी किया।


कानूनी स्थिति और परिवार

कई वर्षों तक शरण के लिए आवेदन करने के बावजूद, उन्होंने सभी नियमों का पालन किया और अपने परिवार के साथ शांति से रहीं। लेकिन तीन दशकों के बाद, हरजीत कौर को अचानक उनके घर से उठाया गया और खराब परिस्थितियों में भारत भेज दिया गया।


वकील का बयान

वकील ने किया खुलासा

उनके वकील दीपक अहलूवालिया ने सोशल मीडिया पर चौंकाने वाली जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि हिरासत में रहते हुए कौर को हथकड़ी पहनाई गई और उन्हें एक खाली सीमेंट की सेल में रखा गया। इससे भी बुरी बात यह थी कि भारत भेजने से पहले उन्हें अपने परिवार से विदाई लेने या सामान इकट्ठा करने की अनुमति नहीं दी गई। वकील ने कहा, 'उन्हें वापस भेजना बहुत क्रूर और अमानवीय था।'


दिल्ली में आगमन

23 सितंबर को दिल्ली पहुंची हरजीत

हरजीत कौर 23 सितंबर को एक लंबी और कठिन यात्रा के बाद दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचीं। उन्हें पहले बेकर्सफील्ड से लॉस एंजेलेस ले जाया गया और फिर यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) ने चार्टर्ड प्लेन से जॉर्जिया से आर्मीनिया और फिर नई दिल्ली भेजा।


परिवार का अनुरोध

परिवार ने ICE से किया था अनुरोध

दीपक अहलूवालिया ने बताया कि हरजीत के परिवार ने उनके लिए यात्रा दस्तावेज तैयार किए थे और अनुरोध किया था कि उन्हें कमर्शियल फ्लाइट से वापस भेजा जाए, लेकिन ICE ने मना कर दिया। वकील ने कहा, 'हमने बस इतना पूछा था कि उन्हें नियमित फ्लाइट से भेजा जाए और जाने से पहले वे कुछ घंटों के लिए अपने परिवार से मिल सकें। लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं मानी।'


भारतीय नागरिकों की वापसी

1,703 भारतीय नागरिकों को भेजा वापस

ट्रंप प्रशासन के दौरान भारतीय नागरिकों को वापस भेजने के मामलों में वृद्धि के बीच कौर को वापस भेजा गया। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस वर्ष अब तक कम से कम 1,703 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा गया है। इनमें से अधिकांश मामले पंजाब, हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों से हैं।


हरजीत कौर का अमेरिका में रहना

अमेरिका क्यों आईं थीं हरजीत कौर?

कौर के मामले ने लोगों में गुस्सा पैदा किया है, खासकर हिरासत में उनके साथ हुए बुरे बर्ताव की खबरों के बाद। अमेरिका के एक अधिकार संगठन, सिख कोएलिशन ने इस मामले को उठाया है और इसे अत्यंत गलत बताया है, खासकर एक बुजुर्ग विधवा के लिए जो उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों से जूझ रही हैं। अपने पति की मृत्यु के बाद, कौर अपने दो बेटों के साथ पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता से बचने के लिए अमेरिका में रह रही थीं।


गिरफ्तारी की प्रक्रिया

ICE ने किया अरेस्ट

8 सितंबर को जब कौर सैन फ्रांसिस्को के ICE ऑफिस में नियमित चेक-इन के लिए गईं, तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया। सामान्य चेक-इन के बजाय, उन्हें गिरफ्तार कर कैलिफोर्निया के विभिन्न डिटेंशन सेंटर में ले जाया गया। दो सप्ताह तक उन्हें अपनी दवाएं नहीं दी गईं, जिससे उनकी तबीयत और खराब हो गई। कई साल पहले उनका शरण का केस खारिज होने के बावजूद, कौर ने सभी इमिग्रेशन नियमों का पालन किया और नियमित रूप से चेक-इन करती रहीं।


समर्थन में प्रदर्शन

सैकड़ों लोग समर्थन में उतरे

हरजीत कौर की अचानक गिरफ्तारी के बाद कैलिफोर्निया में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें सैकड़ों लोग उनके समर्थन में उतरे। प्रदर्शनों में 'हमारी दादी को अकेला न छोड़ो' और 'हरजीत कौर यहीं की है' जैसे नारे लिखे पोस्टर दिखे। स्थानीय नेताओं, जिनमें कांग्रेसमैन जॉन गारामेंडी और सीनेटर जेसी अरेगुइन शामिल हैं, ने ICE से उनके निष्कासन पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया और इसे गलत प्राथमिकता बताया।


ICE का बचाव

ICE ने अपने बचाव में कहा कि हरजीत कौर ने कई अपील के बाद सभी कानूनी विकल्प समाप्त कर दिए थे और निष्कासन अमेरिकी कानून के अनुसार था। लेकिन मानवाधिकार समूह का कहना है कि यह मामला ट्रंप प्रशासन के तहत चल रहे निष्कासन की क्रूरता को दर्शाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो दशकों से अमेरिका में रह रहे हैं और अपने समुदाय के लिए काम कर रहे हैं।


न्याय की लड़ाई

सिख कोएलिशन ने हरजीत कौर के मामले में न्याय के लिए लड़ाई जारी रखने का वादा किया है। संगठन का कहना है, 'यह सिर्फ एक दादी का मामला नहीं है। यह उन प्रवासियों के परिवारों पर हो रही क्रूरता का मामला है जो सालों से अमेरिका में रह रहे हैं और अपने समुदाय की सेवा कर रहे हैं।' हरजीत कौर का यह दुखद निष्कासन कई प्रवासियों की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है, जिससे परिवार बिखर जाते हैं और जो लोग अमेरिका में अपनी पूरी ज़िंदगी बिता देते हैं, उन्हें भी न्यायोचित मौका नहीं मिलता।