Donald Trump का बड़ा कदम: 30 देशों के राजदूतों की वापसी, जानें क्यों?
ट्रंप का नया विदेश नीति कदम
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में विदेश नीति को नया मोड़ देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। ट्रंप प्रशासन ने लगभग 30 देशों में तैनात अमेरिकी राजदूतों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है। यह कदम 'अमेरिका फर्स्ट' नीति को और मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
इस फैसले के पीछे का कारण
स्टेट डिपार्टमेंट के अधिकारियों के अनुसार, राजदूत राष्ट्रपति के व्यक्तिगत प्रतिनिधि होते हैं। ट्रंप का इरादा है कि विदेशों में तैनात ये अधिकारी उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति को पूरी तरह से लागू करें। इन राजदूतों को बर्खास्त नहीं किया जा रहा है, बल्कि उन्हें अमेरिका वापस लाकर विदेश विभाग में नई भूमिकाएं दी जाएंगी। इनमें से अधिकांश राजदूत करियर डिप्लोमैट हैं, जिन्हें बाइडन प्रशासन के दौरान नियुक्त किया गया था।
कौन से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित?
इस बदलाव का सबसे अधिक असर अफ्रीका पर पड़ा है। नाइजीरिया, सेनेगल, रवांडा, युगांडा, सोमालिया और मेडागास्कर जैसे 13 देशों के राजदूत वापस लौट रहे हैं। एशिया में फिलीपींस, वियतनाम, फिजी, लाओस, मार्शल आइलैंड्स और पापुआ न्यू गिनी शामिल हैं। यूरोप से आर्मेनिया, नॉर्थ मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो और स्लोवाकिया के राजदूत भी लौटेंगे। मध्य पूर्व में अल्जीरिया और मिस्र, जबकि दक्षिण एशिया से नेपाल और श्रीलंका भी इस सूची में हैं। इसके अलावा, ग्वाटेमाला और सूरीनाम जैसे देश भी प्रभावित हुए हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
डेमोक्रेट्स ने इस निर्णय की आलोचना की है। उनका कहना है कि कई राजदूतों के पद पहले से ही खाली हैं, जिससे यह कदम अमेरिकी कूटनीति को कमजोर करेगा। सीनेटर जीन शाहीन ने कहा कि इससे अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और चीन तथा रूस को लाभ होगा।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि पहले कार्यकाल में आंतरिक विरोध से बचने के लिए यह कदम उठाना आवश्यक था। यह निर्णय ट्रंप की विदेश नीति को उनके एजेंडे के अनुरूप बनाने की दिशा में एक प्रयास है। भविष्य में नए राजदूतों की नियुक्ति से स्थिति स्पष्ट होगी।