अंतरिक्ष यात्रा के अनसुने नायक: जानवरों ने कैसे खोला मानवता का रास्ता
अंतरिक्ष यात्रा का प्रारंभिक सफर
जब अंतरिक्ष यात्रा का जिक्र होता है, तो अधिकांश लोग नील आर्मस्ट्रॉन्ग या यूरी गागरिन का नाम लेते हैं। लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि इंसान से पहले कई निर्दोष जीवों को अंतरिक्ष में भेजा गया था। वैज्ञानिकों ने पहले जानवरों को अंतरिक्ष में भेजकर यह जानने की कोशिश की कि क्या वहां जीवन संभव है, ताकि भविष्य में मानव को सुरक्षित अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार किया जा सके।
जानवरों की अद्भुत कहानियाँ
इन जीवों की कहानियाँ केवल वैज्ञानिक प्रयोग नहीं हैं, बल्कि बलिदान और अद्वितीय उपलब्धियों से भरी हुई हैं। कुछ ने ऑर्बिट में कदम रखा, जबकि अन्य चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचे और सुरक्षित लौट आए। आइए जानते हैं उन विशेष जीवों के बारे में जिन्होंने इंसान से पहले अंतरिक्ष का रास्ता दिखाया।
अंतरिक्ष की पहली शहीद कुतिया
1957 में सोवियत संघ ने 'स्पुतनिक-2' मिशन के तहत एक आवारा कुतिया 'लाइका' को पृथ्वी की कक्षा में भेजा। वह पहला जीव था जिसने ऑर्बिट में प्रवेश किया। हालांकि वह धरती पर वापस नहीं लौट सकी, लेकिन उसकी यात्रा ने यह साबित किया कि पृथ्वी से बाहर जीवन की संभावना है। लाइका को आज भी "स्पेस की पहली शहीद" के रूप में याद किया जाता है।
पहला बंदर जिसने अंतरिक्ष की दहलीज पार की
1949 में अमेरिका ने रीसस मकैक नस्ल के बंदर 'एल्बर्ट II' को अंतरिक्ष की ओर भेजा। वह 134 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचा और सबऑर्बिटल फ्लाइट पूरी की। हालांकि, तकनीकी गड़बड़ी के कारण वह लौट नहीं सका, लेकिन इसने रेडिएशन और जैविक प्रभावों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
अंतरिक्ष की पहली बिल्ली
1963 में फ्रांस ने 'फेलिसेट' नाम की एक बिल्ली को न्यूरोलॉजिकल रिसर्च के लिए अंतरिक्ष में भेजा। वह सुरक्षित धरती पर लौटी और आगे भी कई प्रयोगों का हिस्सा बनी रही। फेलिसेट को आज "Astrocat" के नाम से भी जाना जाता है।
कछुए: चंद्रमा की कक्षा की यात्रा
1968 में सोवियत संघ के Zond 5 मिशन के साथ कछुए भेजे गए। ये पहले जीव थे जिन्होंने चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा की और सुरक्षित धरती पर लौट आए। इस प्रयोग ने भविष्य के मून मिशनों की नींव मजबूत की।
नेमाटोड कीड़े का जीवन अध्ययन
इन सूक्ष्म जीवों को अंतरिक्ष में भेजने का उद्देश्य यह जानना था कि वे माइक्रोग्रैविटी में कैसे व्यवहार करते हैं। उनके तैरने, संतुलन बनाने और खुद को अनुकूलित करने के तरीकों ने वैज्ञानिकों को बिना गुरुत्वाकर्षण के जीवन को समझने में मदद की।
मकड़ियों ने अंतरिक्ष में जाले बुने
1973 में Skylab 3 मिशन पर दो मकड़ियों – अना और एबिगेल – को माइक्रोग्रैविटी में उनके व्यवहार को समझने के लिए भेजा गया। आश्चर्यजनक रूप से, उन्होंने अंतरिक्ष में संतुलित और गोल जाले बुनकर जीवन की अनुकूलन क्षमता को सिद्ध किया।
चूहों का बार-बार अंतरिक्ष में भेजा जाना
अंतरिक्ष अभियानों में चूहों को बार-बार भेजा गया क्योंकि उनका जेनेटिक सिस्टम इंसानों से काफी मेल खाता है। माइक्रोग्रैविटी में हड्डियों, मांसपेशियों और इम्यून सिस्टम पर उनके शरीर पर पड़े असर को देखकर लंबी अवधि के मिशनों की तैयारी की गई।