अमेरिका और केन्या के बीच स्वास्थ्य समझौता: ट्रंप प्रशासन की नई पहल
अमेरिका का नया स्वास्थ्य अनुदान समझौता
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत वैश्विक स्वास्थ्य अनुदान के लिए पहला समझौता किया है। इस समझौते का उद्देश्य उन देशों में संक्रामक बीमारियों से निपटने को प्राथमिकता देना है, जो राष्ट्रपति की विदेश नीति के लक्ष्यों के अनुरूप हैं।
केन्या के साथ 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर के पांच वर्षीय इस समझौते पर बृहस्पतिवार को केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने हस्ताक्षर किए। यह नया समझौता उन पुराने स्वास्थ्य समझौतों की जगह लेगा, जिन पर दशकों से अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएआईडी) कार्यरत थी।
इस वर्ष की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन ने यूएसएआईडी को समाप्त कर दिया था, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय में चिंता का माहौल बन गया था। इस निर्णय की आलोचना की गई थी, क्योंकि इससे विकासशील देशों को मिलने वाले अनुदान में कमी आई थी, विशेषकर मातृ एवं शिशु देखभाल, पोषण और एचआईवी/एड्स कार्यक्रमों में।
रुबियो ने कहा कि केन्या के साथ यह समझौता "वैश्विक स्वास्थ्य में अमेरिकी नेतृत्व और उत्कृष्टता को बढ़ावा देने" के लिए है। उन्होंने यह भी बताया कि यह समझौता विदेशी सहायता पर निर्भरता को कम करेगा। इसके साथ ही, उन्होंने हैती में गिरोहों से निपटने में केन्या की भूमिका की सराहना की।
इस स्वास्थ्य समझौते के तहत अमेरिका 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा, जबकि केन्या सरकार 850 मिलियन डॉलर का वहन करेगी। यह समझौता एचआईवी/एड्स, मलेरिया और तपेदिक जैसी बीमारियों की रोकथाम और उपचार पर केंद्रित है।
अधिकारियों के अनुसार, वर्ष के अंत तक कई अन्य अफ्रीकी देशों के साथ भी ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। हालांकि, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका, जो महाद्वीप के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश हैं, ट्रंप के साथ राजनीतिक मतभेदों के कारण संभवतः कोई समझौता नहीं करेंगे।