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अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती सैन्य प्रतिस्पर्धा: फुजियान पोत और मिनटमैन-III परीक्षण

5 नवंबर को, अमेरिका ने मिनटमैन-III मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जबकि चीन ने अपने नए विमानवाहक पोत फुजियान को नौसेना में शामिल किया। यह घटनाएँ वैश्विक सुरक्षा संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि फुजियान जैसे आधुनिक पोत भारत की नौसैनिक सुरक्षा पर दबाव डाल सकते हैं। इस लेख में अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती सैन्य प्रतिस्पर्धा और इसके क्षेत्रीय प्रभावों पर चर्चा की गई है।
 

अमेरिकी वायु सेना का महत्वपूर्ण परीक्षण


नई दिल्ली : 5 नवंबर को, अमेरिकी वायु सेना ने अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल मिनटमैन-III का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल एक साथ तीन परमाणु बमों को विभिन्न लक्ष्यों पर भेजने की क्षमता रखती है। इसकी मारक क्षमता लगभग 13,000 मील है, जिससे यह मॉस्को और बीजिंग जैसे प्रमुख शहरों को निशाना बना सकती है। इस परीक्षण का मुख्य उद्देश्य केवल शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि वैश्विक सुरक्षा संतुलन में अमेरिका की स्थिति को बनाए रखना भी है।


चीन का नया विमानवाहक पोत फुजियान

चीन का नया विमानवाहक युद्धपोत फुजियान 
उसी दिन, चीन ने अपने नवीनतम विमानवाहक पोत फुजियान को नौसेना में शामिल किया। यह पोत इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट (EMALS) तकनीक से लैस है, जो विमानों को तेजी से लॉन्च करने में मदद करता है और ईंधन व समय की बचत करता है। इस पोत पर 50 से अधिक विमान और हेलीकॉप्टर रखे जा सकते हैं, जबकि इसकी कुल क्षमता 70-100 विमानों की है। यह न्यूक्लियर पावर वाला पहला चीनी विमानवाहक पोत है, जिसका उद्घाटन राष्ट्रपति शी जिनपिंग की उपस्थिति में किया गया। यह चीन की नौसैनिक ताकत को बढ़ाता है और दक्षिण चीन सागर में उसके प्रभाव को मजबूत करता है।


फुजियान की तकनीकी विशेषताएं

फुजियान की तकनीकी विशेषताएं 
फुजियान पोत में सपाट उड़ान डेक और तीन कैटापल्ट हैं, जो विभिन्न प्रकार के विमानों को लॉन्च करने की अनुमति देते हैं। चीन ने इसके माध्यम से पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान J-35A को एयरक्राफ्ट कैरियर से लॉन्च किया है, जो अमेरिकी फोर्ड श्रेणी के पोतों की तुलना में अधिक उन्नत संचालन क्षमता प्रदान करता है। यह पोत अमेरिका के USS Gerald R. Ford की तरह एडवांस तकनीक से लैस है, लेकिन अमेरिकी पोतों में स्टील्थ F-35 लड़ाकू विमानों के लिए कुछ संशोधनों की आवश्यकता होगी। इससे चीन की नौसैनिक बढ़त और रणनीतिक स्थिति मजबूत होती जा रही है।


भारत की नौसैनिक सुरक्षा पर प्रभाव

भारत के नौसैनिक सुरक्षा पर दबाव बढ़ा सकते...
फुजियान पोत के शामिल होने से हिंद महासागर में क्षेत्रीय शक्ति संतुलन प्रभावित होगा। वर्तमान में भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं - INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य। INS विक्रांत अगले 30-40 वर्षों तक संचालन में रहेगा, जबकि INS विक्रमादित्य 2035 तक रिटायर होने वाला है। विशेषज्ञों का मानना है कि फुजियान जैसे आधुनिक और न्यूक्लियर पावर्ड पोत भारत की नौसैनिक सुरक्षा पर दबाव डाल सकते हैं। इस स्थिति ने भारत में नौसैनिक तैयारी और रणनीति को और मजबूत करने की आवश्यकता पैदा कर दी है।


वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव

हाल के दिनों में अमेरिका और चीन दोनों ने अपने परमाणु और नौसैनिक बलों को सशक्त किया है। अमेरिका का मिनटमैन-III परीक्षण और चीन का फुजियान पोत वैश्विक सुरक्षा, शक्ति संतुलन और क्षेत्रीय रणनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। भारत और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के लिए इन कदमों का प्रभाव भविष्य की सैन्य योजना और समुद्री सुरक्षा पर महत्वपूर्ण होगा।