अमेरिका ने H-1B वीजा प्रक्रिया में सख्ती बढ़ाई
H-1B वीजा प्रक्रिया में नई चुनौतियाँ
नई दिल्ली: अमेरिका ने H-1B वीजा प्रक्रिया में कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। ट्रंप प्रशासन ने निर्देश दिए हैं कि आवेदकों और उनके परिवार के सदस्यों की पूरी प्रोफाइल और पेशेवर इतिहास की गहन समीक्षा की जाएगी, ताकि सेंसरशिप या फ्री स्पीच से संबंधित गतिविधियों की पहचान की जा सके।
सोशल मीडिया और कंटेंट मॉडरेशन पर ध्यान
नई गाइडलाइन के तहत, सोशल मीडिया, कंटेंट मॉडरेशन, फैक्ट-चेकिंग और ऑनलाइन सुरक्षा से जुड़े पेशेवरों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। यदि किसी प्रकार का उल्लंघन पाया जाता है, तो वीजा आवेदन तुरंत रद्द किया जा सकता है।
बायोडाटा और लिंक्डइन प्रोफाइल की जांच
2 दिसंबर को जारी एक केबल के अनुसार, अमेरिकी कांसुलर अधिकारियों को H-1B आवेदकों और उनके परिवार के सदस्यों की बायोडाटा और लिंक्डइन प्रोफाइल की विस्तृत जांच करने के लिए कहा गया है। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आवेदक ने अमेरिका में अभिव्यक्ति की सेंसरशिप या अन्य विवादास्पद गतिविधियों में भाग नहीं लिया है। यह कदम अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनियों में विदेशी कर्मचारियों की भर्ती पर प्रभाव डाल सकता है।
एम्प्लॉयमेंट हिस्ट्री पर गहन निगरानी
केबल में यह भी कहा गया है कि सभी आवेदकों की पूरी एम्प्लॉयमेंट हिस्ट्री की गहन जांच की जाएगी। H-1B आवेदक अक्सर सोशल मीडिया और वित्तीय सेवा कंपनियों में कार्यरत होते हैं, जिन पर सेंसरशिप के आरोप लगे हैं। अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि आवेदक किसी भी प्रकार की सेंसरशिप, कंटेंट मॉडरेशन या फैक्ट-चेकिंग गतिविधियों में शामिल न रहे हों। यह नियम नए और दोबारा आवेदन करने वाले दोनों प्रकार के आवेदकों पर लागू होगा।
सख्ती का कारण
पिछले वर्षों में अमेरिकी तकनीकी और सोशल मीडिया कंपनियों पर फ्री स्पीच सेंसरशिप और कंटेंट मॉडरेशन के आरोप लगे थे। इस कारण ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा की समीक्षा प्रक्रिया को सख्त करने का निर्णय लिया। यह नीति विशेष रूप से उन आवेदकों पर लागू होगी जिनका संबंध सोशल मीडिया, वित्तीय सेवा या डिजिटल प्लेटफॉर्म से है। अमेरिका चाहता है कि सभी विदेशी कर्मचारी देश के इमिग्रेशन कानूनों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पालन करें।
भविष्य में संभावित प्रभाव
इस नई गाइडलाइन के कारण H-1B वीजा प्रक्रिया और भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी। विदेशी पेशेवरों और उनके परिवार को संभावित जांच और सख्ती का सामना करना पड़ेगा। अमेरिकी कंपनियों की भर्ती प्रक्रियाओं में भी बदलाव आ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अमेरिका में कुशल विदेशी कर्मचारियों की संख्या पर असर पड़ सकता है और तकनीकी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा में बदलाव आ सकता है।