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अमेरिका में 'नो किंग्स' आंदोलन: लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुटता

अमेरिका में 'नो किंग्स' आंदोलन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ एक नई लहर उठाई है। लाखों लोग सड़कों पर उतरकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट हुए हैं। इस आंदोलन ने 50 राज्यों में एक साथ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए, जिसमें प्रवासी समुदायों ने भी भाग लिया। राजनीतिक नेताओं ने इस आंदोलन को समर्थन दिया है, और यह अब तानाशाही के खिलाफ एक महत्वपूर्ण बहस का प्रतीक बन गया है। जानें इस आंदोलन के बारे में और इसके पीछे की कहानी।
 

अमेरिका में ट्रंप के खिलाफ 'नो किंग्स' आंदोलन


'नो किंग्स' आंदोलन का उदय: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ विरोध की एक नई लहर उठी है। इस आंदोलन ने अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना ली है।


न्यूयॉर्क से लेकर लॉस एंजेलिस और अटलांटा तक लाखों लोग सड़कों पर उतर आए हैं और 'नो किंग्स' के नारे लगा रहे हैं। यह आंदोलन लोकतंत्र की रक्षा और तानाशाही प्रवृत्तियों के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बन गया है।


50 राज्यों में एक साथ हुआ सबसे बड़ा विरोध

अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, शनिवार को देश के सभी 50 राज्यों में लगभग 2,500 से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस, अटलांटा, वॉशिंगटन डीसी और शिकागो जैसे प्रमुख शहरों में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया है और आव्रजन नीतियों को लेकर विभाजन की राजनीति की जा रही है।


प्रवासियों के समर्थन में उठी एकजुट आवाज

लॉस एंजेलिस में सबसे बड़ी रैली देखी गई, जहां प्रवासी समुदायों ने अमेरिकी और मैक्सिकन झंडे लेकर मार्च किया। वहीं, अटलांटा में प्रदर्शनकारियों ने सिविक सेंटर से जॉर्जिया स्टेट कैपिटल तक मार्च करते हुए 'नो किंग्स' के नारे लगाए। लोगों ने कहा कि अमेरिका किसी राजा का देश नहीं, बल्कि जनता का गणराज्य है।


विपक्षी नेताओं ने जताया समर्थन

डेमोक्रेटिक नेताओं ने इस आंदोलन को लोकतंत्र की आवाज बताया। कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम ने ट्वीट किया, 'तानाशाही के खिलाफ हमारी ताकत एकता और शांति में है।' सीनेट माइनॉरिटी लीडर चक शूमर ने न्यूयॉर्क की रैली में कहा, 'अमेरिका में कोई तानाशाह नहीं चलेगा, यहां जनता ही शासन करेगी।' वहीं, बर्नी सैंडर्स ने लिखा, 'धन्यवाद उन सभी को जिन्होंने कहा- अमेरिका में राजा नहीं, जनता सर्वोच्च है।'


विरोध शांतिपूर्ण, लोकतंत्र की नई बहस छेड़ी

न्यूयॉर्क पुलिस ने बताया कि सभी रैलियां शांतिपूर्ण रहीं और किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया। पांचों बरो में लगभग एक लाख लोग सड़कों पर उतरे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 'नो किंग्स प्रोटेस्ट' अब केवल ट्रंप विरोध नहीं रहा, बल्कि अमेरिका में लोकतंत्र बनाम तानाशाही की बहस का प्रतीक बन गया है।