इंडिगो संकट: क्या भारत में पुतिन जैसा सख्त कदम उठाया जा सकता है?
नई दिल्ली में इंडिगो एयरलाइन का संकट
नई दिल्ली : इंडिगो एयरलाइन के संचालन में अचानक आई गड़बड़ी और हजारों उड़ानों के रद्द होने से भारत के प्रमुख शहरों में हड़कंप मच गया। इसी दौरान, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का 2009 का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैलने लगा। इस क्लिप में पुतिन एक प्रभावशाली उद्योगपति को मजदूरों को महीनों तक वेतन न देने पर सार्वजनिक रूप से फटकार लगाते हुए नजर आते हैं। इंडिगो के संकट के बीच इस वीडियो के वायरल होने से लोगों ने कॉरपोरेट ताकत और सरकारी भूमिका की तुलना करना शुरू कर दिया।
इंडिगो की गड़बड़ी का राष्ट्रीय संकट में बदलना
इंडिगो, जो भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन है और जिसका मार्केट शेयर 60% से अधिक है, अचानक तकनीकी समस्याओं का शिकार हो गई। एक ही दिन में सैकड़ों उड़ानें रद्द हो गईं, जिससे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद के एयरपोर्ट पर यात्रियों की भीड़ लग गई। लोग फर्श पर सोते हुए नजर आए, बैगों का ढेर लग गया और यात्रियों को सही जानकारी भी नहीं मिल पाई। इस गड़बड़ी की वजह DGCA के नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियम थे, जिनमें पायलटों के आराम और रात की ड्यूटी से जुड़े प्रावधानों को कड़ा किया गया था। इंडिगो इन नियमों को लागू करने के लिए तैयार नहीं थी, जिसके कारण पूरा रोस्टरिंग सिस्टम ध्वस्त हो गया और हजारों यात्रियों को घंटों की देरी और रद्दीकरण का सामना करना पड़ा।
पुतिन की 2009 की सख्ती की याद
लोगों ने इंडिगो द्वारा सरकार पर दबाव डालकर नियमों में ढील लेने की कोशिश को उस समय से जोड़ा जब पुतिन ने 2009 में ओलेग डेरीपास्का नामक अरबपति उद्योगपति को मजदूरों का वेतन रोकने पर कड़ी फटकार लगाई थी। उस समय पुतिन ने उसे सार्वजनिक मंच पर अनुशासनहीन और गैर-जिम्मेदार करार दिया था। कैमरे के सामने उन्होंने उससे तुरंत आदेश पत्र पर हस्ताक्षर करवाए और जाते समय पेन वापस करने को कहा। यह घटना रूस में राज्य की सर्वोच्चता और कॉरपोरेट शक्तियों की सीमाओं का प्रतीक बन गई।
क्या भारत पुतिन जैसा सख्त कदम उठा सकता है?
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सवाल उठाया कि क्या भारत सरकार इंडिगो के मामले में पुतिन जैसी कड़ी कार्रवाई कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इंडिगो का संकट केवल उड़ान रद्द होने का मामला नहीं है, बल्कि यह एक चेतावनी भी है कि यदि कॉरपोरेट जिम्मेदारी का पालन नहीं करते हैं तो पूरे देश में अव्यवस्था फैल सकती है। DGCA ने कुछ नियमों में अस्थायी ढील दी है, लेकिन इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में सरकार ऑपरेटरों से कड़ा पालन करवाने की दिशा में और सख्त कदम उठा सकती है।