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इजराइल-ईरान संघर्ष: नए शक्ति समीकरणों का उदय

इजराइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष ने पश्चिम एशिया में नए शक्ति समीकरणों को जन्म दिया है, जो पुराने संतुलन को ध्वस्त कर रहे हैं। अमेरिका की सीधी भागीदारी और ईरान के जवाबी हमले ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। जानें इस संघर्ष के पीछे के कारण और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं।
 

पश्चिम एशिया में संघर्ष का नया दौर

इजराइल और ईरान के बीच चल रही लड़ाई का मुख्य संदेश पश्चिम एशिया और उससे बाहर के नए शक्ति समीकरण हैं, जो पुराने संतुलन को ध्वस्त कर रहे हैं। वैश्विक व्यवस्थाएं भी अब प्रभावहीन हो गई हैं।


7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमलों के साथ शुरू हुए युद्ध का दायरा क्षेत्रीय से बढ़कर अब पार-क्षेत्रीय हो गया है, जब अमेरिका ने इसमें सीधे तौर पर भाग लिया। अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर बमबारी की। इसके जवाब में, सोमवार को ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले किए। इसके साथ ही, बहरीन और कुवैत में अमेरिकी ठिकानों पर भी अलर्ट जारी किया गया। इन घटनाओं के बीच, ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची की मास्को यात्रा एक महत्वपूर्ण घटना रही, जहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से बातचीत की।


क्रेमलिन ने यह घोषणा की कि ‘ईरान को जो भी सहायता चाहिए, रूस उसे प्रदान करेगा।’ इससे पहले, पूर्व रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा था कि ‘कई देश ईरान को परमाणु हथियार देने के लिए तैयार हैं।’ इसके बाद, यह चर्चा शुरू हुई कि उत्तर कोरिया से कोई ‘रहस्यमय खेप’ तेहरान के लिए भेजी जा चुकी है। चीन ने भी, भले ही खुद को पीछे रखा हो, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि वह ईरान के समर्थन में मजबूती से खड़ा है। इन नए समीकरणों का प्रभाव पड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कतर और इराक में ईरानी हमलों के प्रति उदासीनता दिखाई और ईरान-इजराइल के बीच युद्धविराम की घोषणा की।


हालांकि, ईरान ने प्रारंभिक प्रतिक्रिया में इससे असहमति जताई, लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि 13 जून से शुरू हुई लड़ाई जल्द समाप्त हो सकती है। इस बीच, इजराइल की अभेद्यता का भ्रम ईरान ने तोड़ दिया है। इजराइली सैन्य और खुफिया तंत्र की अनूठी छवि भी ध्वस्त हो गई है। ईरान को भी भारी नुकसान हुआ है, लेकिन यह अपेक्षित था। इसलिए, वर्तमान संघर्ष का असली संदेश पश्चिम एशिया और उससे बाहर के नए शक्ति समीकरण हैं, जिन्होंने पुराने संतुलन को तोड़ दिया है। अब सभी देशों के सामने नई परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाने की चुनौती है।