इज़रायल के आयरन डोम की सीमाएं: अमेरिका की नई रिपोर्ट
आयरन डोम की सुरक्षा प्रणाली
इज़रायल का एयर डिफेंस सिस्टम "आयरन डोम" लंबे समय से रॉकेट हमलों से सुरक्षा प्रदान करता आ रहा है। हाल ही में अमेरिका की एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि इस प्रणाली की कुछ सीमाएं हैं, और भारी हमलों के दौरान यह थकावट का सामना कर सकती है।अमेरिकी अधिकारियों की चिंता मुख्य रूप से लेबनान स्थित हिज्बुल्लाह के संदर्भ में है, जिसके पास सैकड़ों हजारों मिसाइलें और प्रिसिजन-गाइडेड ड्रोन हैं। जब बड़े पैमाने पर हमले होते हैं, तो "आयरन डोम" को बचाव मोड में भी दबाव का सामना करना पड़ सकता है। CNN की रिपोर्ट में कहा गया है कि "कम से कम कुछ" बैटरियों को सक्रिय होने की आवश्यकता हो सकती है।
इज़रायल ने हामास के साथ संघर्ष के दौरान अपनी मिसाइल प्रणाली को गज़ा से हटाकर सुरक्षा को बढ़ाने का प्रयास किया है। हालांकि, "आयरन डोम" की सफलता दर 90-95% बताई जाती है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह आंकड़ा केवल उन मिसाइलों पर लागू होता है जो पहले से आबाद क्षेत्रों को लक्षित करती हैं। बड़े हमलों में यह प्रणाली विफल हो सकती है।
इसकी एक प्रमुख वजह लागत भी है। एक इंटरसेप्टर मिसाइल की कीमत लगभग $50,000 है, जबकि हमलावर सस्ते रॉकेट भेज सकते हैं। इससे आर्थिक दृष्टि से असंतुलन उत्पन्न होता है। जब हमले तेजी से और एक साथ होते हैं (सैचुरेशन अटैक), तब "आयरन डोम" के लिए मिसाइलों को नष्ट करना कठिन हो जाता है।
इज़रायल और अमेरिका "आयरन बीम" जैसी नई तकनीकों पर भी काम कर रहे हैं, जो लेजर आधारित ऊर्जा से मिसाइलों को नष्ट कर सकती हैं और प्रति शॉट केवल कुछ डॉलर खर्च होगा। हालांकि, यह तकनीक अभी प्रयोगात्मक अवस्था में है और इसके उपयोग की सीमाएं हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि इज़रायल को एक मजबूत एयर डिफेंस सिस्टम और इंटरसेप्टर की आवश्यकता है, ताकि बड़े युद्ध की स्थिति में "आयरन डोम" पूरी तरह से तैयार रह सके।