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उत्तर कोरिया की नई मिसाइल: ह्वासॉन्ग-20 ने बढ़ाई वैश्विक सुरक्षा चिंताएँ

उत्तर कोरिया ने अपनी नई ह्वासॉन्ग-20 मिसाइल का अनावरण किया है, जो कि अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है। इस मिसाइल की विशेषताएँ, जैसे कि MIRV तकनीक और सॉलिड-फ्यूल सिस्टम, इसे अत्यधिक घातक बनाते हैं। रूस और चीन के साथ बढ़ते संबंधों के बीच, यह मिसाइल वैश्विक सुरक्षा को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकती है। जानिए इस नई मिसाइल के बारे में और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

उत्तर कोरिया का मिसाइल परीक्षण


उत्तर कोरिया का मिसाइल परीक्षण: उत्तर कोरिया ने एक बार फिर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया है। 10 अक्टूबर को वर्कर्स पार्टी की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्योंगयांग में आयोजित भव्य सैन्य परेड में देश ने अपनी सबसे शक्तिशाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) ह्वासॉन्ग-20 का अनावरण किया। इस परेड में रूस और चीन के उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने यह संकेत दिया कि उत्तर कोरिया अपने पारंपरिक सहयोगियों के साथ और निकटता से जुड़ रहा है।


ह्वासॉन्ग-20 की विशेषताएँ

सॉलिड-फ्यूल से लैस 'मॉन्स्टर मिसाइल'
ह्वासॉन्ग-20 को उत्तर कोरिया की सबसे उन्नत और घातक मिसाइल माना जा रहा है। यह एक सॉलिड-फ्यूल आधारित तीन चरणों वाली ICBM है, जो लॉन्च के तुरंत बाद तेजी से ऊँचाई और गति प्राप्त कर सकती है। इसका नया हाई-थ्रस्ट सॉलिड फ्यूल इंजन लगभग 1,970 किलो न्यूटन की ताकत प्रदान करता है, जो कि इससे पहले की ह्वासॉन्ग-18 मिसाइल से 40% अधिक है। इसकी रेंज लगभग 15,000 किलोमीटर है, जिससे यह अमेरिका के किसी भी हिस्से को निशाना बना सकती है।


एक मिसाइल, कई लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता
ह्वासॉन्ग-20 की एक और खतरनाक विशेषता इसका MIRV (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles) सिस्टम है। इसका अर्थ है कि एक ही मिसाइल में कई परमाणु वॉरहेड्स हो सकते हैं, जो अलग-अलग लक्ष्यों पर एक साथ हमला कर सकते हैं। इससे यह मिसाइल अमेरिका के कई शहरों को एक साथ निशाना बना सकती है, जिससे यह सैन्य और आर्थिक केंद्रों पर घातक हमले की क्षमता रखती है।


तैनाती और छिपाने की क्षमता

मोबाइल लॉन्चर से तैनाती, छिपाना आसान
ह्वासॉन्ग-20 को मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है, जिससे इसे कहीं भी तैनात करना और दुश्मनों से छिपाना आसान हो जाता है। सॉलिड फ्यूल सिस्टम के कारण इसे बिना किसी लंबी तैयारी के तुरंत लॉन्च किया जा सकता है। यह अचानक हमले की क्षमता रखती है, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए चिंताजनक है।


रूस और चीन के साथ संबंध

रूस और चीन के साथ गहराई से जुड़ रहा
इस सैन्य परेड का उद्देश्य केवल तकनीकी ताकत का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह भी दर्शाना था कि उत्तर कोरिया अब रूस और चीन के साथ गहराई से जुड़ रहा है। परेड में रूस के डिप्टी फॉरेन मिनिस्टर और चीन के वाइस चेयरमैन की उपस्थिति ने यह संकेत दिया कि उत्तर कोरिया अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ ध्रुवीकरण में अपनी जगह बना रहा है।


वैश्विक सुरक्षा पर खतरा

अमेरिका और एशिया पर मंडराता खतरा
ह्वासॉन्ग-20 के प्रकट होने के बाद अमेरिका और उसके एशियाई सहयोगियों, जैसे जापान और दक्षिण कोरिया की चिंताएँ बढ़ गई हैं। अमेरिकी पेंटागन ने इसे एक "गंभीर रणनीतिक खतरा" बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया के पास वर्तमान में 50 से 60 परमाणु वॉरहेड्स हैं, और यह संख्या बढ़ रही है। इस नई मिसाइल ने न केवल अमेरिका के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है।