क्या JD Vance की पत्नी Usha अपनाएंगी ईसाई धर्म? जानें उनके विचार
JD Vance का विवादास्पद बयान
नई दिल्ली: अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (JD Vance) ने हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अपनी पत्नी ऊषा वेंस (Usha Vance) के धार्मिक विश्वास पर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि उनकी पत्नी, जो हिंदू परंपराओं में पली-बढ़ी हैं, एक दिन कैथोलिक चर्च से प्रेरित होकर ईसाई धर्म अपनाएं। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि उनकी पत्नी ऐसा नहीं करतीं, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
ईसाई धर्म अपनाने की इच्छा
मिसिसिपी में आयोजित एक कार्यक्रम में जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी पत्नी ऊषा भविष्य में ईसाई धर्म अपनाएंगी, तो जेडी वेंस ने कहा कि वे वास्तव में चाहते हैं कि उनकी पत्नी भी उसी चीज से प्रभावित हों, जिससे वे चर्च में प्रभावित हुए। उन्होंने कहा, "मैं ईमानदारी से चाहता हूं कि मेरी पत्नी भी ईसाई सिद्धांतों को अपनाएं।"
हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह उनकी पत्नी का व्यक्तिगत निर्णय होगा। उन्होंने कहा, "भगवान ने हर व्यक्ति को स्वतंत्र इच्छा दी है। अगर मेरी पत्नी अपना विश्वास नहीं बदलना चाहतीं, तो यह मेरे लिए कोई समस्या नहीं है। परिवार में प्रेम और विश्वास सबसे बड़ा रिश्ता होता है।"
भारतीय संस्कृति से जुड़ी ऊषा वेंस
ऊषा वेंस ने बताया कि उनके बच्चे भारतीय इतिहास और संस्कृति से गहरे जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, "हमारे बच्चे भारतीय इतिहास पढ़ते हैं और इस भूमि से जुड़ाव महसूस करते हैं। उन्हें रामायण और महाभारत में खास दिलचस्पी है।" ऊषा का जन्म भारतीय मूल के परिवार में हुआ था और वे हिंदू संस्कारों में पली-बढ़ीं हैं।
जेडी वेंस का धार्मिक सफर
जेडी वेंस ने 2019 में कैथोलिक धर्म अपनाया। उन्होंने बताया कि जब वे ऊषा से पहली बार मिले थे, तब वे खुद को नास्तिक मानते थे। धार्मिक अध्ययन और जीवन के अनुभवों के चलते उन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार किया। अब उनके बच्चे ईसाई स्कूलों में पढ़ते हैं और परिवार में अधिकांश धार्मिक कार्यक्रम ईसाई परंपराओं के अनुसार आयोजित होते हैं।
ईसाई मूल्यों का महत्व
जेडी वेंस ने अमेरिका की सामाजिक व्यवस्था में ईसाई मूल्यों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "मैं मानता हूं कि ईसाई मूल्य अमेरिका की नींव हैं।"
नफरत के माहौल में बयान
जेडी वेंस की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका में H-1B वीजा धारकों और भारतीय प्रवासियों के खिलाफ नस्लवाद और भेदभाव बढ़ रहा है। उनके बयान ने धर्म, पहचान और सांस्कृतिक एकता पर नई बहस को जन्म दिया है।