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क्या चीन ने भारत-पाक संघर्ष का किया लाभ? जानें ऑपरेशन सिंदूर की नई रिपोर्ट में क्या है

एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपने नवीनतम सैन्य हथियारों का परीक्षण किया। अमेरिकी कांग्रेस के पैनल ने बताया कि बीजिंग ने इस संघर्ष को अपने हथियारों के प्रचार का अवसर बनाया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन ने अपने J-35 लड़ाकू विमान की बिक्री बढ़ाने के लिए दुष्प्रचार अभियान चलाया। जानें इस रिपोर्ट में और क्या खुलासे हुए हैं और इसका दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
 

चीन का सैन्य परीक्षण: ऑपरेशन सिंदूर पर नई रिपोर्ट


नई दिल्ली: अमेरिकी कांग्रेस के एक पैनल द्वारा जारी की गई एक नई रिपोर्ट ने ऑपरेशन सिंदूर को फिर से वैश्विक चर्चा का विषय बना दिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चलने वाले तनावपूर्ण झड़पों के दौरान, चीन ने अपने नवीनतम सैन्य हथियारों की क्षमताओं का परीक्षण और प्रचार करने का अवसर बनाया।


अमेरिका-चीन आर्थिक एवं सुरक्षा समीक्षा आयोग (USCC) की इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बीजिंग ने सीधे तौर पर संघर्ष में भाग लिए बिना इसे एक अवसर के रूप में देखा और अपने अत्याधुनिक रक्षा उपकरणों को वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में तैनात कर उनकी प्रभावशीलता का परीक्षण किया।


बीजिंग का 'लाइव टेस्टिंग ग्राउंड'

रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को एक "जियोपॉलिटिकल विंडो" के रूप में इस्तेमाल किया। आयोग ने बताया कि यह पहली बार था जब चीन के आधुनिक हथियार जैसे HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइलें और J-10 फाइटर जेट वास्तविक युद्ध की स्थिति में उपयोग किए गए।


इन हथियारों के उपयोग से चीन को न केवल तकनीकी डेटा प्राप्त हुआ, बल्कि इसके रक्षा उद्योग के प्रचार के लिए एक बड़ा मंच भी मिला। रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रदर्शन इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि चीन अपने रक्षा निर्यात को बढ़ाने के मिशन पर है और भारत के साथ उसकी सीमा पर लगातार तनाव बना हुआ है।


संघर्ष की शुरुआत

7 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव तब बढ़ा जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़े आतंकी हमले में 26 नागरिकों की जान चली गई। भारत ने इस हमले का आरोप सीमा पार सक्रिय आतंकी संगठनों पर लगाया और उसी रात "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया।


इस अभियान में भारतीय सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। पाकिस्तान ने जवाब में मिसाइलों और ड्रोन का उपयोग किया, लेकिन भारतीय रक्षा प्रणाली ने अधिकांश को नष्ट कर दिया। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने कई पाकिस्तानी एयरबेस पर कार्रवाई की। 10 मई को दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा हुई और यह संघर्ष समाप्त हुआ।


चीन का हथियारों का प्रचार

आयोग ने यह भी बताया कि संघर्ष के दौरान चीन के कई दूतावासों ने अपने हथियारों की 'सफलता' को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर किया। रिपोर्ट में कहा गया कि यह प्रयास चीन के वैश्विक हथियार बाजार में अधिक हिस्सेदारी हासिल करने की रणनीति का हिस्सा था।


रिपोर्ट में और भी गंभीर आरोप शामिल हैं। फ्रांसीसी खुफिया एजेंसियों के अनुसार, चीन ने अपने J-35 लड़ाकू विमान की बिक्री बढ़ाने और प्रतिद्वंद्वी फ्रांसीसी राफेल जेट की छवि को खराब करने के लिए दुष्प्रचार अभियान चलाया। इसके लिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट, एआई-निर्मित तस्वीरें और वीडियो गेम से तैयार दृश्य का उपयोग किया गया।


सैन्य विश्लेषण और कूटनीतिक तनाव

रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि चीन ने संघर्ष को सीमित रखने का प्रयास किया, लेकिन अवसरवादी तरीके से इसे अपनी सैन्य रणनीति और तकनीक के लिए एक फील्ड टेस्ट के रूप में इस्तेमाल किया। अमेरिकी पैनल ने इसे दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन के लिए चिंताजनक बताया है।