×

क्या चीन ने मिसाइल रक्षा में अमेरिका को पीछे छोड़ दिया? जानें नई तकनीक के बारे में

चीन ने एक नई और अत्याधुनिक वैश्विक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित की है, जो अमेरिका के लंबे समय से प्रतीक्षित 'गोल्डन डोम' के सपनों को चुनौती देती है। इस प्रणाली की क्षमताएं और कार्यप्रणाली जानने के लिए पढ़ें कि कैसे चीन ने तकनीकी बढ़त हासिल की है और अमेरिका इस क्षेत्र में पीछे क्यों रह गया है। क्या चीन अब मिसाइल डिफेंस में सुपरपावर बन गया है? जानें इस महत्वपूर्ण विकास के बारे में।
 

चीन का नया मिसाइल रक्षा प्रणाली


चीन का मिसाइल रक्षा प्रणाली: जब वैश्विक स्तर पर मिसाइल सुरक्षा के नए विचारों पर चर्चा हो रही थी, तब चीन ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसे अमेरिका ने केवल कल्पना में देखा था। चीन ने एक वास्तविक वैश्विक मिसाइल रक्षा प्रणाली का प्रोटोटाइप विकसित किया है, जो न केवल अत्याधुनिक है, बल्कि इसे क्रियान्वित भी किया जा चुका है।


अमेरिका का 'गोल्डन डोम' अब भी एक सपना
अमेरिका लंबे समय से एक अंतरिक्ष-आधारित मिसाइल रक्षा प्रणाली की कल्पना कर रहा है, जिसे 'गोल्डन डोम' कहा जाता है। यह एक सुरक्षा कवच है जो पूरी पृथ्वी को कवर करता है और किसी भी दिशा से दागी गई मिसाइल को बीच में ही नष्ट कर सकता है। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इस विचार को 2025 में पेश किया गया था, लेकिन यह अब तक केवल प्रस्तावों और तकनीकी विवादों में उलझा हुआ है।


चीन ने वैश्विक मिसाइल रक्षा प्रणाली स्थापित की
इसके विपरीत, चीन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के तहत 'बिग डेटा प्लेटफॉर्म' नामक एक कार्यशील वैश्विक मिसाइल रक्षा प्रणाली स्थापित की है। यह प्रणाली अंतरिक्ष, जल, थल और वायु चारों क्षेत्रों में फैले सेंसरों की सहायता से खतरों की पहचान करती है और उनका मुकाबला करती है।


चीन का नया मिसाइल डिफेंस नेटवर्क कैसे कार्य करता है?
यह प्रणाली नानजिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक ली जुदोंग और उनकी टीम द्वारा विकसित की गई है। यह आधुनिक डेटा प्रोसेसिंग तकनीक का उपयोग करती है और एक साथ 1000 से अधिक मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता रखती है, चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने से लॉन्च की गई हों।


यह तकनीक केवल उपग्रह या रडार पर निर्भर नहीं है, बल्कि यह विभिन्न स्रोतों से आने वाले डेटा को एकीकृत करती है, जिससे खतरे की सटीक पहचान और प्रतिक्रिया की योजना बनाई जाती है। यह प्रणाली हर मिसाइल के प्रक्षेप पथ, संभावित वारहेड और छलावे (decoys) को भी पहचानती है और प्राथमिकता के अनुसार ट्रैक करती है।


अमेरिका क्यों पीछे रह गया?
अमेरिका का 'गोल्डन डोम' अब तक केवल एक रणनीतिक अवधारणा है, जिसका बजट कई खरब पाउंड तक बताया गया है। पेंटागन के भीतर बजट, प्राथमिकता और डेटा साझेदारी को लेकर गहरे मतभेद हैं। अमेरिकी स्पेस फोर्स के जनरल माइकल गुएटलिन ने जुलाई में स्वीकार किया कि उन्हें भी 'गोल्डन डोम' की स्पष्ट जानकारी नहीं है।


यह स्पष्ट करता है कि जहां अमेरिका अभी योजनाएं बना रहा है, वहीं चीन ने बिना किसी बड़े ऐलान के अपने कार्य को पूरा कर लिया है। बीजिंग का यह कदम वैश्विक शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।


क्या चीन अब मिसाइल डिफेंस सुपरपावर बन गया है?
इस अभूतपूर्व विकास ने वैश्विक सामरिक संतुलन को हिला कर रख दिया है। चीन ने न केवल तकनीकी बढ़त हासिल की है, बल्कि यह भी साबित किया है कि वह अब केवल एक सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि रणनीतिक नवाचार में भी अग्रणी है। अमेरिका की योजनाएं अब भी स्लाइड प्रेजेंटेशन में अटकी हैं, जबकि चीन की प्रणाली पूरी तरह से तैयार और तैनात है। अब दुनिया को तय करना है कि सुपरपावर कौन है?