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क्या ट्रंप की टैरिफ नीति ने अपनी ही पार्टी में असंतोष पैदा किया?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति अब उनकी पार्टी में असंतोष का कारण बन गई है। हाल ही में सीनेट ने उनके शुल्क निर्णयों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया, जिसमें चार रिपब्लिकन सीनेटरों ने भी समर्थन दिया। यह तीसरी बार है जब ट्रंप की व्यापार नीति के खिलाफ मतदान हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का दावा कि उनकी टैरिफ नीति ने भारत और पाकिस्तान को युद्ध से रोकने में मदद की, संदेहास्पद है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा जा रहा है और पार्टी में बढ़ती बेचैनी के पीछे की वजहें।
 

ट्रंप की टैरिफ नीति पर उठे सवाल


नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति अब उनकी अपनी पार्टी में भी असंतोष का कारण बन गई है। हाल ही में अमेरिकी सीनेट ने ट्रंप प्रशासन के शुल्क (टैरिफ) निर्णयों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें चार रिपब्लिकन सीनेटरों ने भी समर्थन दिया। यह तीसरी बार है जब ट्रंप की व्यापार नीति के खिलाफ मतदान हुआ है, जो पार्टी में उनके निर्णयों को लेकर बढ़ते मतभेदों का संकेत है।


सीनेट में प्रस्ताव का पारित होना

रिपोर्टों के अनुसार, यह प्रस्ताव 51-47 के मत से पारित हुआ। इस मतदान में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अलास्का की लीसा मुर्कोस्की, मैन की सुजैन कॉलिन्स, केंटकी के रैंड पॉल और मिच मैकॉन ने समर्थन किया। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रस्ताव का ट्रंप की टैरिफ नीति पर तुरंत कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसे प्रतिनिधि सभा से भी मंजूरी मिलनी आवश्यक है। वर्तमान में, रिपब्लिकन नेतृत्व ने संकेत दिया है कि वे इस प्रस्ताव को हाउस में आगे नहीं बढ़ाएंगे।


ट्रंप की टैरिफ डिप्लोमेसी पर सवाल

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के दिनों में कई अंतरराष्ट्रीय विवादों के संदर्भ में अपनी शुल्क नीति को शांति का साधन बताया है। उन्होंने कहा कि उनकी टैरिफ नीति ने भारत और पाकिस्तान जैसे देशों को युद्ध से पीछे हटने के लिए मजबूर किया। ट्रंप ने 20 अक्टूबर को एक बयान में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच गोलीबारी में सात विमान गिराए गए थे, और उन्होंने दोनों देशों पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जिससे उन्हें युद्ध रोकना पड़ा।


ट्रंप ने कहा कि मैंने भारत और पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि यदि उन्होंने युद्ध जारी रखा, तो हम 200 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे, जिससे उनके लिए व्यापार करना असंभव हो जाएगा। इस चेतावनी ने दोनों देशों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।


विशेषज्ञों की शंका

हालांकि, अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक और अमेरिकी मीडिया ट्रंप के इस दावे पर संदेह जता रहे हैं। उनका कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में कमी का कारण राजनयिक वार्ता और अंतरराष्ट्रीय दबाव था, न कि अमेरिकी टैरिफ की धमकी। कई विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान घरेलू राजनीति को प्रभावित करने और अपनी सख्त नेता की छवि को मजबूत करने की कोशिश है।


पार्टी में बढ़ती बेचैनी

रिपब्लिकन पार्टी में टैरिफ नीति को लेकर मतभेद नया नहीं है। कई सीनेटरों का मानना है कि ट्रंप की संरक्षणवादी नीति अमेरिकी उद्योग और उपभोक्ताओं पर बोझ डाल रही है। रैंड पॉल जैसे नेता पहले भी कह चुके हैं कि टैरिफ के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति और निर्यात संकट बढ़ सकता है।


इसके बावजूद, ट्रंप प्रशासन अपनी नीति पर अडिग दिखाई देता है। व्हाइट हाउस ने इस वोट को 'राजनीतिक प्रतीकात्मकता' करार देते हुए कहा कि राष्ट्रपति अपने अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए किसी भी प्रकार का आर्थिक दबाव बनाने से पीछे नहीं हटेंगे।