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क्या पाकिस्तान फिर से खोलेगा उत्तर कोरिया में अपना दूतावास? जानें इसके पीछे की वजहें

पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया में अपने दूतावास को फिर से खोलने पर विचार करना शुरू कर दिया है, जो वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। विदेश मंत्री इशाक डार ने इस प्रस्ताव की पुष्टि की है, जबकि भारत ने इस पर अपनी चिंताएँ व्यक्त की हैं। यह कदम न केवल पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच संबंधों को प्रभावित करेगा, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर भी गहरा असर डाल सकता है। जानें इस मुद्दे के पीछे की जटिलताएँ और संभावित परिणाम।
 

पाकिस्तान का उत्तर कोरिया में दूतावास खोलने का प्रस्ताव


नई दिल्ली : किम जोंग उन के शासन में उत्तर कोरिया में पाकिस्तान अपने दूतावास को फिर से खोलने पर विचार कर रहा है। यह निर्णय उस समय आया है जब वैश्विक सुरक्षा को लेकर परमाणु हथियारों की चिंताएँ बढ़ रही हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में बताया कि उन्हें प्योंगयांग से एक संदेश प्राप्त हुआ है, जिसमें दोनों देशों के बीच एक डिप्लोमैटिक मिशन स्थापित करने का अनुरोध किया गया है। कोविड-19 महामारी के कारण पाकिस्तान का दूतावास बंद था और अब इस प्रस्ताव पर विचार चल रहा है।


पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच संबंध

पाकिस्तान-उत्तर कोरिया में संबंध
डार ने कहा कि डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच सहयोग सीमित रहा है। व्यापारिक लेन-देन बहुत कम है और दोनों देशों के बीच संपर्क भी सीमित है। फिर भी, पाकिस्तान ने यह स्पष्ट किया है कि वह शांति और स्थिरता के लिए समर्थन जारी रखेगा और कोरिया की एकता का शांतिपूर्ण समर्थन करेगा।


भारत की चिंताएँ और सुरक्षा मुद्दे

भारत की आपत्ति और सुरक्षा चिंताएं
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच संभावित परमाणु संबंधों पर लगातार चिंता जताई है। 2017 में, भारत ने प्योंगयांग के नेटवर्क की औपचारिक जांच की मांग की थी। 2022 में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को सूचित किया कि डीपीआरके के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों में वृद्धि क्षेत्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के बीच परमाणु तकनीक और मिसाइल सहयोग न केवल दक्षिण एशिया बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी जोखिम पैदा कर सकता है।


परमाणु परीक्षण की बढ़ती चिंताएँ

कई देश परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि पाकिस्तान और चीन सहित कई देश परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं। ट्रंप ने तीन दशकों के बाद अमेरिका द्वारा परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की योजना का औचित्य बताते हुए कहा कि यह कदम प्रतिद्वंद्वी शक्तियों के साथ बराबरी के आधार पर लिया जा रहा है। उन्होंने रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान को उन देशों में शामिल किया जो परमाणु हथियारों के परीक्षण में सक्रिय हैं।


वैश्विक राजनीति में नई चुनौतियाँ

दूतावास खोलने का विचार, राजनीति में कई नई चुनौती
पाकिस्तान का उत्तर कोरिया में दूतावास खोलने पर विचार करना वैश्विक राजनीति में नई चुनौतियों और बहसों को जन्म दे सकता है। यह कदम अमेरिका, भारत और अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के लिए सुरक्षा और कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यह घटना दक्षिण एशिया और पूर्व एशिया में परमाणु असमानता और संभावित सैन्य प्रतिस्पर्धा को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न करती है।