क्या भारत और पाकिस्तान के बीच शांति संभव है? ट्रंप की नई टिप्पणी पर चर्चा
भारत-पाकिस्तान संबंधों पर ट्रंप की टिप्पणी
भारत-पाकिस्तान संबंध: मिस्र में आयोजित गाजा शांति सम्मेलन के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। ट्रंप ने भारत को एक महान राष्ट्र बताते हुए कहा कि उनके शीर्ष पर एक अच्छा मित्र है, जिसने अद्भुत कार्य किया है। इस अवसर पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मंच पर उपस्थित थे।
ट्रंप ने कहा कि भारत एक महान देश है और उनके मित्र नरेंद्र मोदी ने अद्वितीय नेतृत्व प्रदर्शित किया है। इसके बाद उन्होंने शहबाज शरीफ की ओर मुड़कर पूछा, 'है ना?' शरीफ ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया, जिससे हॉल में हल्की हंसी का माहौल बन गया।
मोदी और ट्रंप के बीच फोन वार्ता
ट्रंप के इस बयान से पहले, दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत हो चुकी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को गाजा शांति योजना की सफलता पर बधाई दी थी। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, "अपने मित्र राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत की। उन्हें ऐतिहासिक गाजा शांति योजना की सफलता पर बधाई दी। व्यापार सौदे में हुई प्रगति पर चर्चा की और भविष्य में संपर्क में बने रहने पर सहमति बनी।" यह दोनों नेताओं के बीच एक महीने में दूसरी बार बातचीत थी, जो दोनों देशों के बीच मजबूत होते संबंधों का संकेत देती है।
शहबाज शरीफ की ट्रंप की प्रशंसा
सम्मेलन के दौरान, जब ट्रंप ने शहाबाज शरीफ को मंच पर आमंत्रित किया, तो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने भी ट्रंप की प्रशंसा की। शरीफ ने उन्हें 'मैन ऑफ पीस' की उपाधि देते हुए कहा कि आज का दिन आधुनिक इतिहास के सबसे महान दिनों में से एक है। राष्ट्रपति ट्रंप ने शांति और समृद्धि के लिए दिन-रात मेहनत की है।
भारत-पाक विवाद पर ट्रंप का दावा
डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भी भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के बारे में बयान दिए हैं। उन्होंने कहा है कि उन्होंने सात बड़े वैश्विक विवादों को सुलझाया है, जिसमें भारत-पाक सीजफायर भी शामिल है। अब इजरायल-गाजा संकट को जोड़ते हुए, उन्होंने इसे आठवां समाधान बताया है।
ट्रंप ने मई में सोशल मीडिया पर कहा था कि अमेरिकी मध्यस्थता के कारण भारत और पाकिस्तान सीजफायर पर सहमत हुए। हालांकि, भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि संघर्षविराम की सहमति दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच सीधी बातचीत से बनी थी, न कि किसी बाहरी मध्यस्थता से।