क्या यूरोप में चीनी इलेक्ट्रिक बसें भी हैं किल स्विच से लैस? जानें पूरी कहानी
नई सुरक्षा चुनौती का सामना
हाल ही में F-35 फाइटर जेट में किल स्विच के मुद्दे पर चल रही वैश्विक चर्चा के बीच, यूरोप को एक नई सुरक्षा समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अब यह चिंता जताई जा रही है कि क्या यूरोप में चलने वाली चीनी इलेक्ट्रिक बसें भी ऐसी तकनीक से लैस हैं, जिसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है। पिछले महीने, डेनमार्क, नीदरलैंड और नॉर्वे जैसे कई यूरोपीय देशों ने इस संभावित खतरे की जांच शुरू की है कि कहीं बीजिंग इन बसों को एक इशारे पर निष्क्रिय तो नहीं कर सकता।
ब्रिटेन ने उठाया कदम
इन देशों के बाद, ब्रिटेन ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि यूके चीन निर्मित इलेक्ट्रिक बसों का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। ब्रिटेन ने औपचारिक रूप से चीनी निर्माता यूटोंग के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, परिवहन विभाग और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र (NCSC) के विशेषज्ञ यह देख रहे हैं कि क्या यूटोंग रिमोट सॉफ्टवेयर अपडेट या डायग्नोस्टिक सिस्टम के माध्यम से ब्रिटेन की बसों पर दूर से नियंत्रण रख सकता है।
ब्रिटेन में यूटोंग बसों की संख्या
यूके में 700 से अधिक यूटोंग बसें चल रही हैं, जिनका उपयोग स्टेजकोच और फर्स्ट बस जैसे बड़े समूह कर रहे हैं। इन समूहों के पास मिलाकर लगभग 200 से ज्यादा यूटोंग ई-बसें हैं। कंपनी लंदन में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही है और TfL मानकों के अनुरूप एक नया डबल-डेकर इलेक्ट्रिक मॉडल भी पेश कर चुकी है। इसी समय, ऑस्ट्रेलिया में भी यूटोंग की बसों पर इसी तकनीक को लेकर जांच शुरू की गई है।
इजरायल की सुरक्षा चिंताएं
इजरायल ने सुरक्षा कारणों से वरिष्ठ आईडीएफ अधिकारियों को आवंटित चीनी इलेक्ट्रिक कारें जब्त करना शुरू कर दिया है। वहां की चिंता यह है कि ऐसे वाहनों के माध्यम से डेटा चीन तक पहुंच सकता है या जासूसी की जा सकती है।
नॉर्वे की रिपोर्ट से बढ़ी चिंता
यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में जांच की शुरुआत नॉर्वे की एक विस्तृत रिपोर्ट के बाद हुई, जिसमें यह पाया गया कि यूटोंग की बसों में रिमोट एक्सेस की क्षमता मौजूद है। ओस्लो में चल रही बसों के निरीक्षण में यह सामने आया कि बैटरी और पावर मैनेजमेंट सिस्टम को ओवर-द-एयर (OTA) अपडेट की सुविधा मिलती है, जिससे तकनीकी रूप से बसों को दूर से बंद किया जा सकता है। नॉर्वे की ट्रांसपोर्ट कंपनी रूटर ने स्वीकार किया कि यूटोंग ने कभी ऐसा कदम नहीं उठाया, लेकिन इस प्रकार की क्षमता "वास्तविक जोखिम" पैदा करती है। हालांकि, SIM कार्ड हटाकर खतरे को कम किया जा सकता है, लेकिन ऐसा करने से आवश्यक अपडेट रुक जाएंगे और बसों की दक्षता प्रभावित होगी।
यूटोंग का स्पष्टीकरण
कंपनी और उसके ब्रिटिश व ऑस्ट्रेलियाई साझेदारों ने इन चिंताओं को पूरी तरह से खारिज किया है। उनका कहना है कि OTA सिस्टम मौजूद है, लेकिन असली सॉफ्टवेयर अपडेट ग्राहक के अनुरोध पर किए जाते हैं। यूटोंग का दावा है कि रिमोट एक्सेस केवल AC जैसी आराम सुविधाओं तक सीमित है, न कि सुरक्षा-संवेदनशील हिस्सों, जैसे ब्रेकिंग या स्टीयरिंग तक। फिर भी, यूरोपीय देश साइबर सुरक्षा जोखिमों को ध्यान में रखते हुए अपनी जांच को और तेज कर रहे हैं।