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खालिदा जिया: बांग्लादेश की राजनीतिक यात्रा और विरासत

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका राजनीतिक सफर एक व्यक्तिगत त्रासदी से शुरू हुआ, जब उनके पति जियाउर रहमान की हत्या हुई। खालिदा ने BNP की अध्यक्षता की और दो बार प्रधानमंत्री रहीं। उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने हमेशा साहस और धैर्य का परिचय दिया। जानें उनके जीवन और राजनीतिक यात्रा के बारे में और कैसे उन्होंने बांग्लादेश की राजनीति को प्रभावित किया।
 

खालिदा जिया का निधन


नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं और उनका इलाज चल रहा था। खालिदा का राजनीतिक सफर एक व्यक्तिगत त्रासदी से शुरू हुआ, जिसने उन्हें देश की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान दिलाया।


पति की हत्या के बाद का मोड़

खालिदा जिया के जीवन में सबसे बड़ा बदलाव उनके पति जियाउर रहमान की हत्या के बाद आया। रहमान, जो बांग्लादेश के राष्ट्रपति थे, ने सैन्य पृष्ठभूमि से राजनीति में कदम रखा था। उनके निधन के बाद खालिदा ने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया और जल्द ही जनता की आवाज बन गईं।


सैन्य प्रमुख से राष्ट्रपति तक का सफर

जियाउर रहमान 1971 की स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सैनिकों में से एक थे। 25 अगस्त 1975 को उन्हें बांग्लादेश का सेना प्रमुख नियुक्त किया गया। उनकी छवि एक अनुशासित और रणनीतिक नेता के रूप में थी, जिससे उन्हें 'जिया' के नाम से जाना जाता था। यह लोकप्रियता उनके राजनीतिक करियर की नींव बनी।


राजनीतिक शुरुआत और राष्ट्रपति पद

1977 में, राष्ट्रपति अबू सदात मोहम्मद सईम के इस्तीफे के बाद, जियाउर रहमान ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति का पद संभाला। इस समय देश में राजनीतिक अस्थिरता थी, और उन्होंने शासन में विकास और प्रशासनिक सुधारों को प्राथमिकता दी। उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ी, और उन्होंने लोकतांत्रिक दिशा में कदम बढ़ाए।


BNP की स्थापना और चुनावी जीत

1978 में, रहमान ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की स्थापना की, जिसका मुख्य आधार राष्ट्रवाद और बहुदलीय लोकतंत्र था। 1979 के आम चुनाव में BNP ने शानदार जीत हासिल की, जिससे वह बांग्लादेश के पहले निर्वाचित राष्ट्रपति बने। यह बांग्लादेश की लोकतांत्रिक राजनीति का एक नया अध्याय था।


सैन्य विद्रोह और राष्ट्रपति की हत्या

30 मई 1981 को चटगांव सर्किट हाउस में एक सैन्य विद्रोह के दौरान जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई। यह घटना सत्ता में सैन्य गुटों के बीच संघर्ष का परिणाम थी, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। यह बांग्लादेश के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक मानी जाती है।


खालिदा जिया का राजनीतिक उदय

पति की हत्या के बाद, खालिदा जिया ने राजनीति में कदम रखा और BNP की नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाली। वह जल्द ही देश की सबसे प्रमुख विपक्षी नेता बन गईं और दो बार प्रधानमंत्री रहीं। जेल, बीमारी और संघर्षों के बावजूद, उन्होंने राजनीति में अपनी उपस्थिति बनाए रखी। उनके समर्थकों के लिए वह साहस और धैर्य की प्रतीक बन गईं।