गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर वायु प्रदूषण का गंभीर प्रभाव
वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव
नई दिल्ली - वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव केवल फेफड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गर्भवती महिलाओं और उनके होने वाले बच्चों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालता है। विशेषज्ञों के अनुसार, PM2.5, NO₂ और अन्य हानिकारक कण और गैसें माँ के शरीर के माध्यम से प्लेसेंटा तक पहुँच सकती हैं, जिससे भ्रूण के मस्तिष्क के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उच्च एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के संपर्क में रहने से बच्चों में न्यूरो-डेवलपमेंट संबंधी समस्याएँ और ऑटिज़्म का खतरा बढ़ सकता है।
प्रदूषण के दीर्घकालिक प्रभाव
प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से गर्भवती महिलाओं और बच्चों में कई स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। महिलाओं में सांस लेने में कठिनाई, थकान, इम्यून सिस्टम की कमजोरी और हृदय संबंधी जोखिम बढ़ सकते हैं। बच्चों पर प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव उनके दिमाग और शरीर के विकास पर पड़ता है, जिससे उनकी सीखने की क्षमता में कमी आ सकती है, पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है और व्यवहार में बदलाव भी देखे जा सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
एम्स के चाइल्ड न्यूरोलॉजी डिवीजन की फैकल्टी इंचार्ज डॉ. शेफाली गुलाटी के अनुसार, प्रदूषण में मौजूद PM2.5, NO₂ और अन्य हानिकारक कण दिमाग की प्राकृतिक सुरक्षा को कमजोर कर सकते हैं। ये कण गर्भवती महिलाओं के शरीर में प्लेसेंटा के माध्यम से बच्चे तक पहुँच जाते हैं, जिससे उसके दिमाग के विकास को नुकसान होता है। इसके परिणामस्वरूप बच्चों में न्यूरोडेवलपमेंट की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिसमें बातचीत, व्यवहार और सामाजिक संपर्क में कठिनाई शामिल है।
बचाव के उपाय
कैसे करें बचाव?
हवा की गुणवत्ता (AQI) पर ध्यान दें और प्रदूषण के समय बाहर जाने से बचें।
घर में एयर प्यूरीफायर या हरा पौधा रखें।
प्रेगनेंट महिलाओं और बच्चों को मास्क पहनाएं, खासकर धूल और धुएं वाले क्षेत्रों में।
बाहर खेल या लंबी सैर से बचें जब AQI खराब हो।
पौष्टिक डाइट लें और बच्चे की इम्यूनिटी मजबूत रखें।