ग़ाज़ा में ईद-उल-अज़हा: परंपराएं धुंधली, भूख का संकट गहरा
ग़ाज़ा में ईद का नया चेहरा
ग़ाज़ा पट्टी में इस वर्ष ईद-उल-अज़हा की सुबह एक अनोखी स्थिति का सामना कर रही है। पहले जहां मस्जिदों में नमाज़ अदा की जाती थी, अब वहां केवल मलबा और सुनसान जगहें हैं। लोग अब उन स्थानों पर नमाज़ पढ़ रहे हैं, जो कभी स्कूल, धार्मिक स्थल या घर हुआ करते थे। युद्धविराम की कोई उम्मीद नहीं दिखती, और खाद्य संकट अपने चरम पर है।
भूख और परंपराओं का संकट
परंपराएं धुंधली, भूख हावी
ईद से जुड़ी परंपराएं जैसे बलि, दावतें और बच्चों के लिए उपहार अब केवल यादें बनकर रह गई हैं। अब हर बातचीत का केंद्र एक ही चिंता है, क्या खाने के लिए कुछ मिलेगा या नहीं।
महंगाई की मार
जरूरी चीज़ें बनीं विलासिता
ग़ज़ा में वायरल हुई एक पोस्ट के अनुसार, पारले-जी बिस्किट की कीमत 24 यूरो यानी लगभग ₹2,400 तक पहुंच गई है। इसके अलावा, लगभग हर आवश्यक वस्तु की कीमतें आसमान छू रही हैं:
खाना पकाने का तेल (1 लीटर): ₹4,177
चीनी (1 किलो): ₹4,914
दूध पाउडर (1 किलो): ₹860
आटा (1 किलो): ₹1,474
नमक (1 किलो): ₹491
भिंडी (1 किलो): ₹1,106
बत्तख का मांस (1 किलो): ₹737
टमाटर (1 किलो): ₹1,106
प्याज (1 किलो): ₹4,423
आलू (1 किलो): ₹1,966
बैंगन (1 किलो): ₹860
नींबू (1 किलो): ₹1,474
दाल (1 किलो): ₹860
कॉफी (1 कप): ₹4,423
बकरे का डिब्बा बंद मांस: ₹4,914
आर्थिक संकट और भूख
रोज़गार खत्म, महंगाई की मार
ग़ज़ा में आज लोगों के पास कोई स्थिर आय नहीं है, जिससे ये कीमतें उनकी पहुंच से बाहर हो गई हैं। जीवन अब केवल जीवित रहने की कोशिश बन गया है।
हमास का नियंत्रण
हमास लूट रहा है मदद
इजराइली प्रवक्ता गाय नीर का कहना है कि हमास सहायता सामग्री को अपने नियंत्रण में लेकर महंगे दामों पर जनता को बेच रहा है। उनके अनुसार, अब तक भेजे गए लगभग 80% सहायता ट्रक लूट लिए गए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने चेतावनी दी है कि सितंबर तक लगभग 5 लाख ग़ज़ावासी "गंभीर खाद्य संकट" का सामना करेंगे। यह भूख की उस स्थिति की ओर इशारा करता है, जो अकाल से पहले आती है।