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ग्रेटा थनबर्ग की गिरफ्तारी: मानवाधिकारों के लिए प्रदर्शन में शामिल हुईं

स्वीडन की प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को लंदन में मानवाधिकारों के समर्थन में एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया। यह घटना उस समय हुई जब उन्होंने फिलिस्तीनी कार्यकर्ताओं के समर्थन में तख्ती पकड़ी थी। ग्रेटा की गिरफ्तारी ने एक बार फिर उन्हें अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय बना दिया है। जानें, ग्रेटा के जीवन, उनके संघर्ष और उनके प्रभाव के बारे में।
 

ग्रेटा थनबर्ग की गिरफ्तारी का मामला


नई दिल्ली: स्वीडन की जानी-मानी जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार उनका ध्यान पर्यावरण के बजाय मानवाधिकारों और राजनीति पर है। मंगलवार को लंदन में एक प्रदर्शन में भाग लेते हुए, ग्रेटा ने उन फिलिस्तीनी कार्यकर्ताओं के समर्थन में आवाज उठाई, जो जेल में भूख हड़ताल पर हैं।


पुलिस कार्रवाई का विवरण

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ग्रेटा एक तख्ती पकड़े हुए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रही थीं। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर उन्हें हिरासत में ले लिया। उनकी गिरफ्तारी की खबर फैलते ही प्रदर्शन स्थल पर तनाव बढ़ गया। लंदन पुलिस ने बताया कि ग्रेटा को आतंकवाद अधिनियम 2000 की धारा 13 के तहत गिरफ्तार किया गया, क्योंकि उन्होंने प्रतिबंधित संगठन के समर्थन में प्रदर्शन किया था।


शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का हिस्सा

ग्रेटा थनबर्ग को हाल ही में लंदन में हिरासत में लिया गया, जब वह फिलिस्तीन के समर्थन में आयोजित एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल थीं। यह प्रदर्शन लंदन में एस्पेन इंश्योरेंस कंपनी के कार्यालय के बाहर 'प्रिजनर्स फॉर फिलिस्तीन' के बैनर तले किया जा रहा था। इस घटना के बाद ग्रेटा एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गई हैं।


पर्यावरण के मुद्दों पर ग्रेटा की आवाज

ग्रेटा थनबर्ग का जन्म 3 जनवरी 2003 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही सामाजिक और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी थी। जब वह केवल 15 वर्ष की थीं, तब उन्होंने स्वीडिश संसद के बाहर अकेले बैठकर विरोध प्रदर्शन किया। उनके हाथ में एक तख्ती थी, जिस पर लिखा था- 'जलवायु के लिए स्कूल हड़ताल'। उनका यह छोटा सा कदम धीरे-धीरे एक बड़े आंदोलन में बदल गया।


वैश्विक आंदोलन का आरंभ

ग्रेटा के इस प्रयास से 'फ्राइडेज फॉर फ्यूचर' नाम का एक वैश्विक आंदोलन शुरू हुआ। इस आंदोलन के तहत दुनिया भर के छात्र हर शुक्रवार स्कूल छोड़कर अपनी सरकारों से जलवायु परिवर्तन पर ठोस कदम उठाने की मांग करने लगे। कुछ ही समय में यह अभियान कई देशों में फैल गया और ग्रेटा जलवायु आंदोलन की सबसे मजबूत आवाज बनकर उभरीं।


'पर्सन ऑफ द ईयर' का सम्मान

अपने सक्रिय योगदान के चलते ग्रेटा को कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बोलने का अवसर मिला। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन, यूरोपीय संसद और अन्य बड़े वैश्विक कार्यक्रमों में प्रभावशाली भाषण दिए। साल 2019 में उन्हें टाइम मैगजीन ने 'पर्सन ऑफ द ईयर' चुना, जिससे वह यह सम्मान पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनीं। इसके अलावा, उनका नाम कई बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया जा चुका है।


ग्रेटा की संपत्ति का अनुमान

इतनी प्रसिद्धि और प्रभाव के बावजूद, ग्रेटा थनबर्ग बेहद साधारण जीवन जीती हैं। वह अपने काम को कभी भी पैसे कमाने का जरिया नहीं मानतीं। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, वर्ष 2025 तक उनकी कुल अनुमानित संपत्ति लगभग 10 लाख से 20 लाख अमेरिकी डॉलर के बीच बताई जाती है, जो भारतीय मुद्रा में लगभग 9 करोड़ से 18 करोड़ रुपये होती है। उनकी यह कमाई मुख्य रूप से किताबों की रॉयल्टी, भाषणों और पुरस्कारों से आती है। ग्रेटा की सादगी और सोच यह दर्शाती है कि उनके लिए असली मकसद पैसा नहीं, बल्कि दुनिया को बेहतर बनाना है।