चीन और जापान के बीच बढ़ता तनाव: क्या है साने ताकाइची का विवादास्पद बयान?
चीन-जापान के बीच तनाव की नई लहर
नई दिल्ली: हाल के दिनों में चीन और जापान के बीच तनाव में वृद्धि देखी जा रही है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने चेतावनी दी है कि यदि जापान अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसके अलावा, चीन की सरकारी मीडिया में जापान को विनाशकारी परिणामों की चेतावनी देने वाले कई लेख प्रकाशित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री साने ताकाइची का विवादास्पद बयान
जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची के ताइवान पर दिए गए बयान ने चीन की प्रतिक्रिया को भड़काया है। उन्होंने 7 नवंबर को कहा कि ताइवान में संकट का मतलब जापान के लिए भी संकट है, और जापान सामूहिक आत्मरक्षा के तहत सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इसका अर्थ है कि यदि चीन ताइवान पर हमला करता है, तो जापान उसकी सहायता करेगा। इस बयान के बाद चीन ने जापान के खिलाफ कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
चीन की मीडिया में जापान को चेतावनी
चीन के ग्लोबल टाइम्स और अन्य सरकारी मीडिया ने जापान को चेतावनी देने वाले कई लेख प्रकाशित किए हैं। इनमें से एक लेख में कहा गया है कि जापान को ताइवान मामले में हस्तक्षेप करने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। संपादकीय में यह भी कहा गया है कि जापान को चीन की चेतावनी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
सीसीटीवी से जुड़े सोशल मीडिया अकाउंट ने भी लिखा कि साने ताकाइची की भड़काऊ टिप्पणियों के प्रति चीन का धैर्य सीमित है। यदि जापान ताइवान की सहायता करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
चीन के कड़े कदम
प्रधानमंत्री साने ताकाइची के बयान के बाद चीन ने कई कड़े कदम उठाए हैं:
- चीनी विदेश मंत्रालय ने जापानी राजदूत को तलब किया।
- जापान की हालिया सैन्य गतिविधियों पर सवाल उठाए।
- चीनी राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने चेतावनी दी कि यदि जापान ताइवान में हस्तक्षेप करता है, तो उसे पीएलए के हाथों हार का सामना करना पड़ेगा।
- जापान में चीनी राजदूत ने जापानी विदेश उप मंत्री से मुलाकात की।
चीन का दृढ़ संकल्प
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि साने ताकाइची को यह समझना चाहिए कि "चीनी लोगों के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।" लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि दूसरे विश्व युद्ध में चीनी लोगों ने जापानी आक्रमणकारियों को अपनी भूमि से खदेड़ दिया था, और अब उनका संकल्प और भी मजबूत है। यदि कोई जापानी नेता लापरवाही करता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
चीन और जापान के बीच यह बढ़ता तनाव एशियाई क्षेत्रीय राजनीति में एक नई चुनौती प्रस्तुत करता है, और ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच संभावित टकराव की आशंका को बढ़ा देता है।