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चीन और ताइवान के बीच बढ़ता तनाव: क्या है असली वजह?

चीन और ताइवान के बीच तनाव एक बार फिर से बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। ताइवान के राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो ने चीन के जहाजों की घुसपैठ की जानकारी दी है, जो ताइवान की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीजिंग की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है। ताइवान ने अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन क्या ये उपाय पर्याप्त होंगे? जानें इस जटिल स्थिति के बारे में और क्या भविष्य में और भी खतरे बढ़ सकते हैं।
 

चीन-ताइवान तनाव की नई परतें


चीन और ताइवान के बीच तनाव फिर से उभरता हुआ दिखाई दे रहा है। हाल ही में, ताइवान के राष्ट्रीय सुरक्षा ब्यूरो ने जानकारी दी है कि चीन के जहाज लगातार ताइवान के समुद्री क्षेत्रों में घुसपैठ कर रहे हैं। ये घटनाएं ताइवान की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई हैं, और विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीजिंग की एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह ताइवान पर समुद्री दबाव बढ़ा रहा है।


चीन की गुप्त समुद्री गतिविधियों का खुलासा

ताइवान की संसद की विदेश मामलों और राष्ट्रीय रक्षा समिति के समक्ष NSB के महानिदेशक त्साई मिंग-येन ने बताया कि हाल के महीनों में चीन के सात से आठ वाणिज्यिक जहाजों ने किनमेन काउंटी के पास प्रतिबंधित समुद्री क्षेत्रों में घुसपैठ की है। इन जहाजों ने अपनी ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन सिस्टम को बंद कर दिया था, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो गया।


यह जानकारी इस बात की पुष्टि करती है कि चीन अब अपने गैर-सैन्य संसाधनों जैसे वाणिज्यिक जहाजों और मछली पकड़ने वाली नावों का उपयोग ग्रे-जोन ऑपरेशन्स के लिए कर रहा है। यह एक ऐसी रणनीति है, जिसमें बिना सीधे सैन्य टकराव के विरोधी पर दबाव बनाया जाता है।


राजनीतिक चिंताएं और सुरक्षा के सवाल

ताइवान की विपक्षी पार्टी के विधायक चेन येओंग-कांग ने सरकार से सवाल उठाया कि क्या ये जहाज बीजिंग द्वारा नियंत्रित मछुआरे हैं या फिर चीन के तटरक्षक बल के मुखौटे में काम कर रहे गुप्त जहाज हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की घुसपैठ को मामूली उकसावे के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे ताइवान की संप्रभुता पर सीधा हमला माना जाना चाहिए।


त्साई मिंग-येन ने यह भी बताया कि खुफिया रिपोर्टों से चीन द्वारा अपनाए गए कम से कम आठ से नौ अलग-अलग तरीकों का पता चला है। इनमें AIS को बंद करना, जहाज की पहचान में हेरफेर, नकली समुद्री नंबरों का इस्तेमाल और जहाजों की पहचान छिपाने जैसी तकनीकें शामिल हैं। इन तरकीबों से ताइवान की समुद्री निगरानी बेहद कठिन हो गई है।


ताइवान की प्रतिक्रिया रणनीति

इन घटनाओं के जवाब में, ताइवान के तटरक्षक प्रशासन ने अपनी गश्त को मजबूत किया है। सरकार ने लगभग 20 अरब ताइवान डॉलर के निवेश को मंजूरी दी है ताकि नौसैनिक क्षमता बढ़ाई जा सके और खुफिया-साझाकरण प्रणाली को आधुनिक बनाया जा सके। इससे तटीय निगरानी और प्रतिक्रिया की गति दोनों में सुधार होगा।


भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

विधायक चेन ने यह भी चेतावनी दी कि चीन अपने जियामेन जियांगन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण का लाभ उठाकर नागरिक उड्डयन प्रबंधन के नाम पर किनमेन के कुछ हिस्सों में हवाई क्षेत्र के विस्तार की कोशिश कर सकता है। उन्होंने ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय और संबंधित एजेंसियों से इस खतरे पर गंभीर नजर रखने की अपील की।


सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, चीन की यह रणनीति हाइब्रिड युद्ध का हिस्सा है, जिसमें सैन्य, आर्थिक और साइबर माध्यमों का मिश्रित उपयोग किया जाता है। बीजिंग धीरे-धीरे ताइवान की सीमाओं और समुद्री प्रभाव को कमजोर कर उसकी प्रतिक्रिया क्षमता का परीक्षण कर रहा है।


ताइवान के लिए यह केवल एक समुद्री विवाद नहीं, बल्कि स्वायत्तता और सुरक्षा की लड़ाई बन चुकी है। चीन की इन गतिविधियों से स्पष्ट है कि वह भविष्य में किसी बड़े भू-राजनीतिक कदम की तैयारी कर रहा है और ताइवान के लिए यह एक गंभीर चेतावनी है कि उसे हर मोर्चे पर चौकन्ना रहना होगा।