चीन का उइगर मुसलमानों पर नया दमनकारी कदम
चीन का उइगर मुसलमानों पर दमन
चीन अपने स्तर पर कट्टरपंथियों और उइगर मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन विभिन्न देशों में रहने वाले उइगर मुसलमानों को पकड़कर उन्हें दंडित करने की कोशिश कर रहा है। यह जानकारी भारत के वामपंथियों और कट्टरपंथियों को भी चौंका देगी, क्योंकि चीन एकतरफा धर्मनिरपेक्षता के जाल में नहीं फंसा है।
हाल ही में मुसलमानों के खिलाफ एक नई घोषणा सामने आई है, जिसने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। लगभग 5.25 करोड़ मुसलमानों के लिए यह एक गंभीर संकट बन गया है। चीन ने उइगर मुसलमानों को दंडित करने के लिए एक नई योजना बनाई है, जिसने कई देशों को हिलाकर रख दिया है।
चीन का नया एक्शन
विशेष रूप से मुस्लिम देशों में, चीन ने उइगर मुसलमानों के खिलाफ जो कदम उठाया है, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। चीन से भागे उइगर मुसलमानों को पकड़ने और उन्हें दंडित करने के लिए अब उन्हें विदेशों से वापस लाने की कोशिश की जा रही है।
चीन में हो रहे इस अत्याचार पर सभी मुस्लिम देश चुप्पी साधे हुए हैं। कोई सवाल नहीं उठाया जा रहा है, न ही कोई प्रतिक्रिया दी जा रही है। चीन में लगभग 5.25 करोड़ मुसलमान रहते हैं, और यह सभी जानते हैं कि वहां मुसलमानों को धार्मिक प्रथाओं का पालन करने की अनुमति नहीं है।
मस्जिदों पर पाबंदियां
चीन में मस्जिदों के डिजाइन पर भी पारंपरिक तरीके से निर्माण की अनुमति नहीं है, विशेष रूप से शिनजियांग में रहने वाले उइगरों पर। 2017 से 2019 के बीच, चीन ने लगभग 10 लाख उइगरों को डिटेंशन कैंप में डाल दिया, जहां कई लोगों से जबरन श्रम कराया गया।
हालांकि, कई उइगर मुसलमान विदेशों में भागने में सफल रहे हैं और अमेरिका तथा यूरोप में उन्हें शरण मिली है। लेकिन अब चीन इनकी वापसी के लिए दबाव बना रहा है।
तुर्की की चुप्पी
चीन नहीं चाहता कि ये मुसलमान विदेशों में जाकर उसके खिलाफ कोई नकारात्मक बात कहें। तुर्की, जो इस्लामिक देशों का खलीफा बनने की कोशिश कर रहा है, भी इस मुद्दे पर चुप है। रिपोर्टों के अनुसार, तुर्की में उइगरों की जबरन वापसी के लिए फॉर्म भरे जा रहे हैं।
इसके अलावा, थाईलैंड, यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में भी उइगरों को वापस भेजने की कोशिशें की जा रही हैं। हाल ही में, थाईलैंड ने 40 उइगरों को चीन वापस भेजा। अमेरिका और यूरोप की नई प्रवासी नीतियों के कारण उइगरों को शरण मिलना अब कठिन हो गया है।
तुर्की का दोहरा रवैया
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन खुद को इस्लामिक देशों का नेता मानते हैं, जबकि पाकिस्तान तुर्की को इस्लाम का सबसे मजबूत रक्षक बताता है। लेकिन तुर्की, जो उइगर मुसलमानों को बचाने का दावा करता है, उन्हें वापस चीन भेजने की कोशिश कर रहा है।