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चीन का परमाणु विस्तार: क्या वैश्विक संतुलन खतरे में है?

पेंटागन की नई रिपोर्ट में चीन के तेजी से बढ़ते परमाणु शस्त्रागार और सैन्य विस्तार पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने 100 से अधिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात की हैं। बीजिंग ने इन आरोपों को खारिज किया है, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह वैश्विक हथियार नियंत्रण ढांचे के लिए खतरा बन सकता है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है और इसका वैश्विक संतुलन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
 

नई चिंताएं और रिपोर्ट का खुलासा


नई दिल्ली: वैश्विक सामरिक संतुलन को लेकर नई चिंताएं उभर रही हैं। पेंटागन की एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि चीन ने अपने नए साइलो क्षेत्रों में 100 से अधिक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) तैनात कर दी हैं और वह हथियार नियंत्रण वार्ताओं से दूर है। यह रिपोर्ट चीन के तेजी से बढ़ते परमाणु और सैन्य विस्तार की ओर इशारा करती है, जिससे वैश्विक हथियार नियंत्रण ढांचे के कमजोर होने की आशंका बढ़ गई है।


चीन का तेजी से बढ़ता परमाणु शस्त्रागार

रिपोर्ट के अनुसार, चीन इस समय किसी भी अन्य परमाणु-सशस्त्र देश की तुलना में अपने परमाणु शस्त्रागार का सबसे तेज़ी से विस्तार कर रहा है। पेंटागन का कहना है कि बीजिंग ने अब तक हथियार नियंत्रण पर किसी भी ठोस बातचीत में रुचि नहीं दिखाई है, जिससे भविष्य की परमाणु कूटनीति पर सवाल उठ रहे हैं।


मिसाइल साइलो और भंडार का विस्तार

पेंटागन के आकलन में बताया गया है कि चीन ने मंगोलिया की सीमा के निकट तीन बड़े साइलो क्षेत्रों में ठोस ईंधन से चलने वाली DF-31 श्रेणी की 100 से अधिक ICBM तैनात की हैं। अमेरिका ने पहले इन साइलो स्थलों के अस्तित्व को स्वीकार किया था, लेकिन तैनात मिसाइलों की संख्या का खुलासा नहीं किया गया था।


रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक चीन के पास लगभग 600 परमाणु हथियार होंगे, और वह 2030 तक इस संख्या को 1,000 से अधिक करने की दिशा में बढ़ रहा है। यह आकलन बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स की रिपोर्ट से भी मेल खाता है, जिसमें कहा गया है कि चीन का परमाणु विस्तार अभूतपूर्व गति से हो रहा है।


चीन का खंडन

बीजिंग ने पेंटागन की रिपोर्ट के निष्कर्षों को खारिज कर दिया है। अमेरिका में चीनी दूतावास ने एक बयान में कहा कि चीन एक रक्षात्मक परमाणु नीति का पालन करता है और अपनी सैन्य क्षमता को न्यूनतम आवश्यक स्तर तक सीमित रखता है। चीन ने अमेरिका पर उसकी छवि खराब करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है। इसके साथ ही, उसने अपनी 'पहले प्रयोग न करने' की परमाणु नीति को दोहराया है।


ताइवान और क्षेत्रीय तनाव

रिपोर्ट में केवल परमाणु शक्ति पर ही नहीं, बल्कि चीन की पारंपरिक सैन्य रणनीति पर भी चिंता जताई गई है। पेंटागन का मानना है कि चीन 2027 तक ताइवान के खिलाफ युद्ध 'लड़ने और जीतने' की क्षमता हासिल कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य मौजूदगी को चुनौती देने के लिए लंबी दूरी के हमले की क्षमताओं को भी विकसित कर रहा है।


हथियार नियंत्रण पर संकट

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका-रूस के बीच बची अंतिम परमाणु हथियार नियंत्रण संधि न्यू स्टार्ट की समाप्ति नज़दीक है। चीन के इस ढांचे से बाहर रहने और किसी नई संधि के अभाव में विशेषज्ञ तीन परमाणु शक्तियों के बीच हथियारों की होड़ की चेतावनी दे रहे हैं।