चीन की बढ़ती परमाणु ताकत पर पेंटागन की चिंता
चीन की परमाणु क्षमता पर पेंटागन की रिपोर्ट
नई दिल्ली: अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की एक हालिया ड्राफ्ट रिपोर्ट में चीन की तेजी से बढ़ती परमाणु शक्ति को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की गई हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने मंगोलिया की सीमा के निकट तीन नए साइलो क्षेत्रों में 100 से अधिक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात की हैं। ये मिसाइलें ठोस ईंधन वाली DF 31 श्रेणी की मानी जा रही हैं।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि चीन किसी भी प्रकार की हथियार नियंत्रण वार्ता में रुचि नहीं दिखा रहा है। पेंटागन का कहना है कि बीजिंग की ओर से परमाणु हथियारों पर बातचीत की कोई इच्छा नहीं है, जिससे वैश्विक हथियार नियंत्रण व्यवस्था को खतरा बढ़ गया है।
पेंटागन की अन्य जानकारी
पेंटागन के अनुसार, चीन इस समय अपने परमाणु शस्त्रागार का तेजी से विस्तार और आधुनिकीकरण कर रहा है। 2024 में चीन के पास लगभग 600 परमाणु वॉरहेड होने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2030 तक यह संख्या 1000 से अधिक हो सकती है।
पहले पेंटागन ने इन मिसाइलों की मौजूदगी की पुष्टि की थी, लेकिन यह पहली बार है जब यह जानकारी सामने आई है कि इनमें 100 से अधिक मिसाइलें तैनात की जा चुकी हैं। इस खुलासे को चीन की रणनीतिक तैयारी में महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
चीन की प्रतिक्रिया
हालांकि, चीन ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। वाशिंगटन में चीनी दूतावास ने कहा कि चीन की परमाणु नीति पूरी तरह से रक्षात्मक है। चीन का दावा है कि वह केवल न्यूनतम आवश्यक स्तर पर ही परमाणु हथियार रखता है।
चीन ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर चीन की छवि को खराब करने का प्रयास कर रहा है। बीजिंग ने यह भी कहा कि उसकी नो फर्स्ट यूज नीति कायम है और परमाणु परीक्षण पर रोक भी जारी है।
ताइवान पर पेंटागन का आकलन
रिपोर्ट में ताइवान के संदर्भ में भी गंभीर आकलन किया गया है। पेंटागन का कहना है कि चीन 2027 तक ताइवान को लेकर युद्ध जीतने की क्षमता हासिल करने की योजना बना रहा है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और बल प्रयोग के विकल्प को खारिज नहीं करता।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चीन ताइवान पर कब्जे के लिए सैन्य विकल्पों को लगातार मजबूत कर रहा है, जिसमें 2000 नॉटिकल मील तक हमले की क्षमता शामिल है। इससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी मौजूदगी को चुनौती मिल सकती है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अमेरिका और रूस के बीच न्यू स्टार्ट संधि जल्द समाप्त होने वाली है।