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चीन के सैन्य समारोह पर ट्रंप की तीखी प्रतिक्रिया

चीन ने बीजिंग के थियानमेन चौक पर एक भव्य सैन्य समारोह का आयोजन किया, जिसमें रूस और उत्तर कोरिया के नेताओं को आमंत्रित किया गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी, आरोप लगाते हुए कहा कि ये देश अमेरिका के खिलाफ साजिश कर रहे हैं। ट्रंप ने चीन को द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका द्वारा दी गई सहायता की याद दिलाई। इस समारोह ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है और विश्लेषकों का मानना है कि यह तीनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का संकेत हो सकता है।
 

बीजिंग में भव्य सैन्य समारोह

बीजिंग: चीन ने अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करते हुए बीजिंग के थियानमेन चौक पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया, जिसमें रूस और उत्तर कोरिया के नेताओं को आमंत्रित किया गया। इस कार्यक्रम ने वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित किया, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तीखी प्रतिक्रिया के कारण। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में चीन, रूस और उत्तर कोरिया पर अमेरिका के खिलाफ साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया।


ट्रंप की चेतावनी

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पोस्ट में उल्लेख किया कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को यह याद रखना चाहिए कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने चीन को विदेशी आक्रमण से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि इस युद्ध में कई अमेरिकी सैनिकों ने अपनी जान गंवाई, और चीन को उनके बलिदान का सम्मान करना चाहिए।


गौरवपूर्ण समारोह की उम्मीद

ट्रंप ने यह भी कहा कि यह समारोह शी जिनपिंग और चीनी जनता के लिए गर्व का क्षण होना चाहिए। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन को शुभकामनाएं दीं, लेकिन इसे व्यंग्यात्मक रूप में पेश करते हुए कहा कि ये तीनों देश मिलकर अमेरिका के खिलाफ साजिश कर रहे हैं। यह आयोजन चीन की सैन्य शक्ति और क्षेत्रीय प्रभाव को प्रदर्शित करने का एक प्रयास माना जा रहा है।


सैन्य शक्ति का प्रदर्शन

थियानमेन चौक पर आयोजित इस समारोह में आधुनिक हथियारों, मिसाइलों और सैन्य टुकड़ियों का प्रदर्शन किया गया। रूस और उत्तर कोरिया की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी चर्चा का विषय बना दिया। ट्रंप की टिप्पणी ने वैश्विक कूटनीति में तनाव को बढ़ाने का काम किया है।


विश्लेषकों की राय

विश्लेषकों का मानना है कि यह आयोजन न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि यह तीनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग का भी संकेत हो सकता है। इस बीच, अमेरिका ने इस आयोजन पर कड़ी नजर रखने की बात कही है।