चीन ने अपने पहले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट-सज्जित विमानवाहक पोत फ़ूजियान का किया उद्घाटन
चीन का नया विमानवाहक पोत फ़ूजियान
चीन ने अपने पहले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापल्ट से लैस विमानवाहक पोत 'फ़ूजियान' को आधिकारिक रूप से अपनी नौसेना में शामिल कर लिया है। यह समारोह हैनान द्वीप के सान्या नौसैनिक अड्डे पर आयोजित किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने नियंत्रण कक्ष से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लॉन्च बटन दबाकर इसका शुभारंभ किया। रिपोर्टों के अनुसार, फ़ूजियान के डेक पर आधुनिक नौसैनिक विमानों जैसे J-35 स्टेल्थ फाइटर, J-15 मल्टी-रोल फाइटर, KJ-600 एरबोर्न अर्ली वार्निंग एयरक्राफ्ट और Z-20F हेलिकॉप्टर का प्रदर्शन किया गया।
फ़ूजियान की विशेषताएँ
फ़ूजियान, जिसे 2022 में जलावतरण किया गया था, ने 2024 से लगातार समुद्री परीक्षण किए और सितंबर 2025 में विमान प्रक्षेपण और पुनः अवतरण की सफल क्षमता प्रदर्शित की। यह चीन का तीसरा विमानवाहक पोत है, लेकिन तकनीकी दृष्टि से यह सबसे उन्नत और 'आत्मनिर्भर' है, क्योंकि यह किसी सोवियत डिज़ाइन पर आधारित नहीं है। पहले के दोनों पोत— लिआओनिंग और शानडोंग 'स्की-जम्प' तकनीक वाले थे।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम
फ़ूजियान की सबसे बड़ी विशेषता इसका इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम (EMALS) है। यह तकनीक पहले केवल अमेरिका के USS Gerald R. Ford पर लागू की गई थी। चीन ने भाप-संचालित कैटापल्ट चरण को छोड़कर इस आधुनिक तकनीक को अपनाया है, जो राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निर्देश पर किया गया।
EMALS की तकनीकी लाभ
EMALS के माध्यम से विमान प्रक्षेपण की गति और बल को सूक्ष्मता से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे विमानों की wear and tear कम होती है। यह तकनीक छोटे ड्रोन और हल्के विमानों को भी सुरक्षित रूप से प्रक्षिप्त करने की अनुमति देती है, जो भविष्य में कैरीयर-बेस्ड ड्रोन बेड़े के संचालन के लिए महत्वपूर्ण है।
अमेरिका की तकनीकी चुनौतियाँ
वर्तमान में, अमेरिका के Gerald R. Ford पोत पर EMALS तकनीक से संबंधित तकनीकी जटिलताएँ और विश्वसनीयता की समस्याएँ सामने आई हैं। इन कठिनाइयों के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की कि भविष्य के अमेरिकी विमानवाहक पोतों में पुनः भाप-संचालित कैटापल्ट प्रणाली को अपनाया जाएगा। यह स्थिति तकनीकी conservatism को दर्शाती है, जबकि चीन नवोन्मेष को आत्मसात कर रहा है।
चीन की सामरिक क्षमता में वृद्धि
फ़ूजियान के नौसेना में शामिल होने से चीन की 'ब्लू वॉटर नेवी' क्षमता में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। अब चीन दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य के साथ-साथ प्रशांत महासागर के गहरे हिस्सों में भी शक्ति-प्रक्षेपण करने में सक्षम होगा। यह ताइवान संकट के संदर्भ में एक 'गेम-चेंजर' साबित हो सकता है।
चीन की आत्मनिर्भरता
फ़ूजियान ने यह संकेत दिया है कि चीन अब 'अनुकरण से नवोन्मेष' की ओर बढ़ चुका है। लिआओनिंग और शानडोंग सोवियत विरासत के वाहक थे, जबकि फ़ूजियान पूरी तरह से स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण का परिणाम है। यह चीन के रक्षा उद्योग और औद्योगिक आत्मनिर्भरता का प्रमाण है।
भविष्य की योजनाएँ
चीन अब टाइप 004 परमाणु-संचालित विमानवाहक पोत पर कार्य कर रहा है, जो संभवतः अमेरिका के Ford class के समान शक्ति वाला होगा। इसका अर्थ है कि चीन सतत् वैश्विक नौसैनिक उपस्थिति की दिशा में अग्रसर है।
अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा
ट्रंप प्रशासन द्वारा भाप-संचालित प्रणाली पर लौटने की इच्छा और चीन द्वारा EMALS को अपनाने का निर्णय, यह दोनों मिलकर प्रौद्योगिकीय नेतृत्व की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को उजागर करते हैं। अमेरिकी नौसेना तकनीकी जटिलताओं में उलझी है, जबकि चीन नए मानक स्थापित कर रहा है।
नौसैनिक शक्ति की पुनर्परिभाषा
फ़ूजियान का जलावतरण केवल एक सैन्य घटना नहीं, बल्कि 21वीं सदी की समुद्री शक्ति की पुनर्परिभाषा है। चीन ने यह दिखा दिया है कि वह समान स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है। यह कदम न केवल एशिया-प्रशांत क्षेत्र बल्कि हिंद महासागर, अफ्रीका और मध्य पूर्व में भी चीन की सामरिक पहुँच को व्यापक बनाएगा।
चीन की दीर्घकालिक रणनीति
फ़ूजियान का जलावतरण आधुनिक चीन की दीर्घकालिक रणनीति का प्रतीक है, जिसमें 'तकनीकी श्रेष्ठता के माध्यम से वैश्विक प्रभाव' प्राप्त करने का लक्ष्य निहित है। यह केवल एक जहाज़ नहीं, बल्कि चीन की वैज्ञानिक-सैन्य आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।