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चीन ने ट्रंप के परमाणु परीक्षण के आरोपों का किया खंडन

चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए परमाणु परीक्षण के आरोपों का खंडन किया है। चीन का कहना है कि वह एक जिम्मेदार परमाणु संपन्न राष्ट्र है और उसकी नीति 'नो फर्स्ट यूज़' पर आधारित है। चीन ने अमेरिका से उम्मीद जताई है कि वह वैश्विक परमाणु व्यवस्था को कमजोर नहीं करेगा। इस विवाद के बीच, ट्रंप ने रूस और चीन को परमाणु हथियारों के परीक्षण के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
 

परमाणु परीक्षण पर चीन का स्पष्टीकरण

वर्तमान में, वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों के परीक्षण को लेकर एक प्रतिस्पर्धा चल रही है। अमेरिका ने रूस और चीन पर चोरी-छिपे परमाणु परीक्षण करने का आरोप लगाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी, जिसके बाद चीन ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया।


चीन ने अमेरिका को कड़े शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि वह एक जिम्मेदार परमाणु संपन्न देश है, जो शांति और वैश्विक स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है, न कि हथियारों की दौड़ में शामिल होने के लिए। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ट्रंप के आरोप निराधार और भ्रामक हैं।


उन्होंने स्पष्ट किया कि चीन की परमाणु नीति हमेशा 'नो फर्स्ट यूज़' के सिद्धांत पर आधारित रही है। माओ ने कहा कि चीन कभी भी किसी अन्य देश के खिलाफ पहले परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं करेगा। चीन की रणनीति पूरी तरह से आत्मरक्षा पर केंद्रित है।


चीन ने यह भी कहा कि वह व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) का समर्थन करता है और इस संधि की गरिमा बनाए रखने के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग करने के लिए तैयार है।


माओ ने उम्मीद जताई कि अमेरिका भी इस समझौते के तहत अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का सम्मान करेगा और वैश्विक परमाणु व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास नहीं करेगा। हाल के दिनों में परमाणु हथियारों के परीक्षण को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हुआ है।


ट्रंप ने रूस और चीन के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिका तीन दशकों बाद फिर से परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने जा रहा है। उन्होंने इन देशों को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।