चीन पर निर्भरता: पड़ोसी देशों की मुद्रा छपाई में बढ़ती रुचि
पड़ोसी देशों की मुद्रा छपाई में चीन की भूमिका
भारत के आस-पास के देशों में अपनी मुद्रा के लिए चीन पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है। नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और मालदीव जैसे राष्ट्रों ने हाल के वर्षों में करोड़ों बैंक नोट चीन से छपवाए हैं। इसकी मुख्य वजह चीन की सस्ती तकनीक, तेज डिलीवरी और बड़े पैमाने पर उत्पादन क्षमता है। हाल ही में नेपाल के केंद्रीय बैंक ने एक बार फिर चीन की सरकारी कंपनी को नोट छापने का आदेश दिया है।
नेपाल का नया आदेश
नेपाल ने इस बार 43 करोड़ नोट छापने का ठेका दिया है। इससे पहले भी, नेपाल ने 5, 10, 100, 500 और 1000 रुपये के नोट चीन में छपवाए हैं। नेपाल का कहना है कि चीन सबसे कम लागत में नोट तैयार करता है, जबकि यूरोप और अमेरिका की कंपनियां महंगी साबित होती हैं।
बांग्लादेश और श्रीलंका की स्थिति
बांग्लादेश भी कई वर्षों से चीन से नोट और सिक्के बनवा रहा है। कुछ साल पहले, उसने सुरक्षा फीचर्स वाले लाखों नोट चीन की कंपनियों से बनवाए थे। इसी तरह, श्रीलंका ने आर्थिक संकट के दौरान नोट छपाई का एक बड़ा हिस्सा चीन से ही करवाया है।
छोटे देशों की निर्भरता
भूटान और मालदीव जैसे छोटे देशों के पास अपनी नोट प्रिंटिंग सुविधाएं नहीं हैं, इसलिए वे चीन की सेवाओं पर काफी हद तक निर्भर हो गए हैं। यह बदलाव महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि लंबे समय तक नोट छापने का बाजार अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसी पश्चिमी कंपनियों के नियंत्रण में था।
चीन का बढ़ता प्रभाव
हालांकि, चीन ने कम लागत, तेज सप्लाई और अत्याधुनिक सुरक्षा तकनीक के माध्यम से तेजी से इस बाजार में अपनी पकड़ बना ली है। अब कई देशों की नोट प्रिंटिंग आवश्यकताएं सीधे चीन पर निर्भर हैं।