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जलवायु परिवर्तन से आर्कटिक प्रजातियों पर बढ़ता खतरा

हालिया रिपोर्ट में आर्कटिक सील और पक्षियों के लिए जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे का उल्लेख किया गया है। IUCN ने 172,620 प्रजातियों की सूची में कई प्रजातियों को संकटग्रस्त बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि आर्कटिक क्षेत्र में तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं और प्रजातियों के प्राकृतिक आवास समाप्त हो रहे हैं। जानें इस संकट के पीछे के कारण और इसके प्रभाव।
 

आर्कटिक जलवायु और मौसम


आर्कटिक जलवायु और मौसम: एक प्रमुख संरक्षण संगठन द्वारा जारी की गई हालिया रिपोर्ट के अनुसार, आर्कटिक सील और पक्षियों को जलवायु परिवर्तन और मानव गतिविधियों के कारण गंभीर खतरे का सामना करना पड़ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने बताया कि वनों की कटाई और कृषि के विस्तार के कारण पक्षियों के आवास में कमी आ रही है, जबकि सील मुख्य रूप से वैश्विक तापमान वृद्धि और समुद्री गतिविधियों के कारण संकट में हैं।


आईयूसीएन की लाल सूची में प्रजातियों की संख्या

IUCN ने यह भी बताया कि वह हुडेड सील की स्थिति को संवेदनशील से लुप्तप्राय में बदल रहा है, और दाढ़ी वाले तथा हार्प सील को संकटग्रस्त श्रेणी में रखा गया है। इसके महानिदेशक ग्रेथेल एगुइलर ने अबू धाबी में विश्व संरक्षण सम्मेलन में कहा कि "यह वैश्विक अपडेट मानव गतिविधियों के प्रकृति और जलवायु पर बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है।" उन्होंने यह भी बताया कि "आईयूसीएन की लाल सूची में अब 172,620 प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें से 48,646 प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं।"


ग्लेशियरों का पिघलना और प्रजातियों पर प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र में तापमान अन्य क्षेत्रों की तुलना में चार गुना तेजी से बढ़ रहा है। बर्फ की मोटाई और फैलाव में कमी के कारण न केवल ग्लेशियर पिघल रहे हैं, बल्कि सील और समुद्री पक्षियों के लिए प्राकृतिक आवास भी समाप्त हो रहे हैं। आर्कटिक के ठंडे जल और बर्फ के मैदानों पर हार्प सील, रिंग्ड सील और किलर व्हेल जैसी प्रजातियाँ सदियों से जीवित हैं। हालाँकि, हाल के वर्षों में बर्फ के पिघलने से उनकी प्रजनन और भोजन की आदतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसी तरह, आर्कटिक टर्न, पफिन और गिलेमॉट जैसे पक्षी भी प्रवास के दौरान बदलती हवाओं और भोजन की कमी के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।