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जापान और चीन के बीच बढ़ते तनाव: भारत की भूमिका पर सवाल

जापान और चीन के बीच बढ़ते तनाव ने भारत को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है। जापान की नई प्रधानमंत्री तकाची ने ताइवान के मुद्दे पर स्पष्टता दिखाई है, जिससे चीन की प्रतिक्रिया भी तीव्र हुई है। इस लेख में, हम देखेंगे कि कैसे यह तनाव वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर रहा है और भारत की भूमिका क्या हो सकती है। जानें इस जटिल स्थिति के पीछे के कारण और संभावित परिणाम।
 

जापान और चीन के बीच तनाव का नया अध्याय

साल 2019 में एक महत्वपूर्ण क्षण देखने को मिला, जब प्रधानमंत्री मोदी, जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक साथ थे। यह एक दुर्लभ अवसर था, जिसमें एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हो रही थी। यदि उस समय स्थिति को सुलझा लिया जाता, तो आज जापान को इतनी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता। वर्तमान में, जापान चीन और रूस के बीच फंसा हुआ है, और भारत भी एक धर्म संकट में है। एक ओर, भारत को कई लाभ मिल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, चुनौतियाँ भी बढ़ रही हैं। जापान की नई प्रधानमंत्री, तकाची, जिन्हें फीमेल शिंजो आबे कहा जाता है, ने ताइवान के मुद्दे पर स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि चीन ताइवान पर हमला करता है, तो जापान सैन्य सहायता प्रदान करेगा। इस बयान ने काफी हलचल मचा दी है।


इस विवाद में जापान के विदेश मंत्री भी शामिल हो गए हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।


चीनी विदेश मंत्री ने जापान के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जापान ताइवान की मदद नहीं कर पाएगा और यदि वह अपनी सुरक्षा को ताइवान से जोड़ता है, तो यह उसके लिए मुसीबत का कारण बनेगा। इसके परिणामस्वरूप, चीन ने अपने नागरिकों को जापान यात्रा से बचने की सलाह दी, जिससे जापान के ट्रैवल शेयरों में गिरावट आई। इसके बाद, चीन ने अपने युद्धपोत भी जापान के निकट भेज दिए।


अमेरिका और जापान का सैन्य अभ्यास

चीन अक्सर ताइवान को घेरने की कोशिश करता है, और अब वह जापान के साथ भी ऐसा ही कर रहा है। दूसरी ओर, अमेरिका के बमवर्षक जापान में देखे गए हैं। हाल ही में, अमेरिका, जापान और फिलीपींस के बीच दो दिवसीय समुद्री अभ्यास हुआ। दक्षिणी थिएटर कमान के प्रवक्ता, वरिष्ठ कर्नल तियान जुनली ने कहा कि फिलीपींस अक्सर बाहरी ताकतों के साथ मिलकर संयुक्त गश्त करता है, जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है।