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जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री साने ताकाइची की काम करने की आदतें विवाद का विषय बनीं

जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री साने ताकाइची अपनी काम करने की आदतों और सख्त कार्यशैली के कारण आलोचनाओं का सामना कर रही हैं। उन्होंने हाल ही में बताया कि वे प्रतिदिन केवल दो से चार घंटे सोती हैं, जिससे कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ने का आरोप भी लगा है। उनके बयानों ने जापान में कामकाजी घंटों और स्वास्थ्य पर बहस को फिर से जीवित कर दिया है। जानें इस मुद्दे पर उनका दृष्टिकोण और जापान में कार्य-जीवन संतुलन की स्थिति।
 

जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री की कार्यशैली पर सवाल


नई दिल्ली: जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री साने ताकाइची इन दिनों अपनी कार्यशैली और सख्त दृष्टिकोण के कारण आलोचनाओं का सामना कर रही हैं। हाल ही में उन्होंने एक बयान दिया, जिसने लोगों को चौंका दिया। ताकाइची ने बताया कि वे प्रतिदिन केवल दो से चार घंटे सोती हैं। उनके इस बयान ने एक नई बहस को जन्म दिया है, क्योंकि उन पर पहले से ही कर्मचारियों से अधिक काम करवाने का आरोप लगाया जा रहा है।


सकारात्मक कार्य संस्कृति की कमी

कुछ दिन पहले, ताकाइची ने सुबह 3 बजे अपने कार्यालय में एक बैठक बुलाई थी, जिसका उद्देश्य संसद सत्र की तैयारी करना था। इस घटना के बाद कई लोगों ने उनकी आलोचना की और कहा कि इतनी रात को कर्मचारियों को काम पर बुलाना अनुचित है।


स्वास्थ्य पर असर

वर्कलोड से पीएम भी अछूती नहीं!


एक कार्यक्रम में जब उनसे जापान में लंबे कामकाजी घंटों को कम करने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वे रोजाना लगभग दो घंटे सोती हैं, कभी-कभी चार घंटे भी। उन्होंने स्वीकार किया कि यह उनकी सेहत और त्वचा के लिए अच्छा नहीं है। उनके इस बयान ने यह स्पष्ट किया कि वे भी अत्यधिक काम के बोझ से जूझ रही हैं।


जापान में कामकाजी घंटों की समस्या

जापान में लंबे कामकाजी घंटों की समस्या


जापान में लंबे समय से यह समस्या बनी हुई है कि वहां काम के घंटे अत्यधिक होते हैं और कर्मचारियों पर भारी दबाव होता है। यहां तक कि जापान में अधिक काम के कारण मृत्यु के लिए एक विशेष शब्द भी है, जो इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है। सरकार और समाज दोनों कार्य-जीवन संतुलन को सुधारने के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन चुनौती अभी भी बनी हुई है।


ताकाइची का दृष्टिकोण

क्या कहा पीएम ने?


जब पीएम ताकाइची से पूछा गया कि उनकी सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ओवरटाइम की सीमा बढ़ाने पर विचार क्यों कर रही है, तो उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की आवश्यकताएँ अलग होती हैं। कुछ लोग अतिरिक्त आय के लिए दो नौकरियाँ चुनते हैं, जबकि कुछ ओवरटाइम कम करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई बदलाव होता है, तो सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि श्रमिकों की सेहत और सुरक्षा प्रभावित न हो। ताकाइची के इन बयानों ने देश में कामकाजी संस्कृति, कर्मचारियों की सेहत और संतुलित जीवन पर बहस को फिर से तेज कर दिया है।