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जापान में परमाणु ऊर्जा की वापसी: काशीवाजाकी-कारीवा संयंत्र का नया अध्याय

जापान में काशीवाजाकी-कारीवा परमाणु संयंत्र की वापसी एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। नीयागाटा प्रांत में राजनीतिक समर्थन के बाद, संयंत्र को फिर से चालू करने का रास्ता साफ हुआ है। हालांकि, स्थानीय स्तर पर विरोध और चिंताएं भी बनी हुई हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या है जापान की राष्ट्रीय रणनीति।
 

परमाणु ऊर्जा के प्रति बदलता नजरिया


जापान में परमाणु ऊर्जा के प्रति जो संकोच वर्षों से बना हुआ था, वह अब धीरे-धीरे समाप्त होता नजर आ रहा है। नीयागाटा प्रांत में राजनीतिक बाधाओं के हटने के बाद, काशीवाजाकी-कारीवा परमाणु संयंत्र को फिर से चालू करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह वही देश है जिसने 2011 में फुकुशिमा हादसे के बाद परमाणु ऊर्जा से दूरी बना ली थी। अब ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु लक्ष्यों के चलते टोक्यो ने फिर से परमाणु विकल्प की ओर रुख किया है।


नीयोगाटा में राजनीतिक समर्थन

सोमवार को नीयागाटा प्रांतीय विधानसभा ने गवर्नर हिदेयो हनाजुमी के पक्ष में विश्वास प्रस्ताव पारित किया। पिछले महीने उन्होंने संयंत्र को फिर से चालू करने का समर्थन किया था। इस निर्णय ने वर्षों से चली आ रही क्षेत्रीय राजनीतिक बाधाओं को समाप्त कर दिया।


फुकुशिमा के बाद की स्थिति

मार्च 2011 में आए भूकंप और सुनामी के बाद फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना ने जापान को गहरे सदमे में डाल दिया था। इसके परिणामस्वरूप देश के सभी 54 रिएक्टर बंद कर दिए गए थे। समय के साथ सुरक्षा मानकों की समीक्षा की गई और 33 में से केवल 14 रिएक्टर ही दोबारा चालू हो सके।


काशीवाजाकी-कारीवा का महत्व

यह संयंत्र, जो टोक्यो से लगभग 220 किलोमीटर दूर स्थित है, दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु संयंत्र है। इसकी कुल क्षमता 8.2 गीगावाट है, जो लाखों घरों को बिजली प्रदान कर सकती है। इसे टीईपीसीओ द्वारा संचालित किया जाता है, जो फुकुशिमा संयंत्र का भी ऑपरेटर था।


स्थानीय विरोध और चिंताएं

हालांकि राजनीतिक मंजूरी मिल गई है, लेकिन स्थानीय स्तर पर विरोध जारी है। विधानसभा के बाहर सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने "नो न्यूक्स" के नारे लगाए। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि संयंत्र को चालू करने की शर्तें पूरी नहीं हुई हैं।


राष्ट्रीय रणनीति और भविष्य की दिशा

प्रधानमंत्री सानाए ताकाइची की सरकार का मानना है कि आयातित ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए परमाणु ऊर्जा आवश्यक है। सरकार का लक्ष्य 2040 तक परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत करना है। काशीवाजाकी-कारीवा की वापसी इस लक्ष्य की सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है।