जापान में प्रधानमंत्री इशिबा का इस्तीफा: राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता पर सवाल
प्रधानमंत्री इशिबा का इस्तीफा
प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा का कार्यकाल शुरू से ही विवादों से भरा रहा है। पहले साल में ही उन्हें पार्टी के भीतर विरोध का सामना करना पड़ा और राष्ट्रीय चुनावों में हार ने उनके नेतृत्व पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए। शुक्रवार को उनके इस्तीफे की घोषणा ने जापान की राजनीतिक स्थिति में हलचल पैदा कर दी। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि एलडीपी का अगला नेता कौन होगा और क्या वह देश की नीतियों में स्थिरता ला सकेगा।
एलडीपी की चुनावी हार
इशिबा के नेतृत्व में एलडीपी-गठबंधन ने लगातार दो चुनावों में हार का सामना किया, जिससे संसद के दोनों सदनों में उनका बहुमत समाप्त हो गया। यही कारण उनके इस्तीफे का मुख्य कारण बना। पार्टी सोमवार को नेतृत्व चुनाव कराने वाली थी, जिसे अब रद्द कर दिया गया है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, पार्टी में इशिबा के प्रति विश्वास तेजी से घट रहा था, जिसके चलते उन्होंने दबाव में पद छोड़ने का निर्णय लिया।
आर्थिक चिंताएँ
बाजार और नीतिगत अनिश्चितता
इशिबा के इस्तीफे ने राजनीतिक के साथ-साथ आर्थिक मोर्चे पर भी चिंता बढ़ा दी है। जापानी शेयर बाजार सोमवार को खुलते ही उतार-चढ़ाव का सामना कर सकता है, क्योंकि निवेशकों को अब स्पष्ट आर्थिक नीतियों और स्थिरता की उम्मीद नहीं है। विश्लेषकों का मानना है कि जब तक नया प्रधानमंत्री नहीं चुना जाता और उसकी प्राथमिकताएं स्पष्ट नहीं होतीं, तब तक बाजार में अस्थिरता बनी रहेगी।
एलडीपी का अगला नेता
कौन संभालेगा बागडोर?
एलडीपी का अगला नेता चुनने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पार्टी के नियमों के अनुसार, उम्मीदवार बनने के लिए किसी भी नेता को कम से कम 20 सांसदों का समर्थन प्राप्त करना होगा। संभावित दावेदारों में साने ताकाइची, पूर्व आंतरिक मामलों की मंत्री, का नाम सबसे आगे है। वह पहले भी इशिबा के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं और आर्थिक प्रोत्साहन योजनाओं की समर्थक हैं।
इसके अलावा, शिंजिरो कोइज़ुमी, मौजूदा कृषि मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी के बेटे, एक युवा चेहरे के रूप में पार्टी को नई ऊर्जा दे सकते हैं। वहीं, ताकायुकी कोबायाशी, पूर्व आर्थिक सुरक्षा मंत्री, पार्टी के दक्षिणपंथी धड़े का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके साथ ही, योशिमासा हयाशी, मौजूदा मुख्य कैबिनेट सचिव, और कात्सुनोबु काटो, वित्त मंत्री, भी दावेदारी पेश कर सकते हैं।
भविष्य की दिशा
क्या है आगे का रास्ता?
हालांकि एलडीपी के पास अब संसद के दोनों सदनों में बहुमत नहीं है, लेकिन निचले सदन में वह सबसे बड़ी पार्टी बनी हुई है। ऐसे में पार्टी का नया नेता ही जापान का अगला प्रधानमंत्री बनने की सबसे बड़ी संभावना रखता है। विशेषज्ञों का मानना है कि नए प्रधानमंत्री की नीतियां न केवल पार्टी की दिशा तय करेंगी बल्कि जापान की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होंगी। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा चेहरा इशिबा की जगह लेता है और देश की बागडोर संभालता है।