जेफरी एपस्टीन से जुड़े दस्तावेजों में विवाद: गायब हुईं फाइलें और ट्रंप की तस्वीरें
नई दिल्ली में उठे सवाल
नई दिल्ली: अमेरिका में जेफरी एपस्टीन से संबंधित दस्तावेजों को लेकर एक नया विवाद उत्पन्न हो गया है। अमेरिकी न्याय विभाग की वेबसाइट से एपस्टीन से जुड़ी कम से कम 16 महत्वपूर्ण फाइलें अचानक गायब हो गई हैं। इन फाइलों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक तस्वीर भी शामिल बताई जा रही है। ये फाइलें शुक्रवार को वेबसाइट पर अपलोड की गई थीं, लेकिन 24 घंटे के भीतर ही शनिवार को हटा दी गईं।
गायब हुई सामग्री
गायब हुई फाइलों में नग्न महिलाओं की कलाकृतियों की तस्वीरें शामिल थीं। इसके अलावा, एक फोटो में डोनाल्ड ट्रंप, उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप, एपस्टीन और घिसलेन मैक्सवेल एक साथ दिखाई दे रहे थे। यह फोटो फर्नीचर और दराजों में रखी कई तस्वीरों के समूह का हिस्सा थी।
फाइलों के गायब होने का रहस्य
न्याय विभाग ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या इन फाइलों को जानबूझकर हटाया गया या यह तकनीकी गलती थी। विभाग की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। प्रवक्ता ने भी मीडिया के सवालों का जवाब नहीं दिया है, जिससे सोशल मीडिया पर अटकलें बढ़ गई हैं।
हाउस ओवरसाइट कमेटी के डेमोक्रेट सदस्यों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा कि आखिर क्या छिपाया जा रहा है और जनता को पूरी सच्चाई क्यों नहीं बताई जा रही। पारदर्शिता की मांग की गई है।
ट्रंप का रुख
अनेक पन्नों के एपस्टीन से जुड़े दस्तावेज जारी किए गए हैं, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जैसे कई प्रमुख नामों का उल्लेख है। हालांकि, लिखित रिकॉर्ड में डोनाल्ड ट्रंप का नाम लगभग अनुपस्थित रहा है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि फरवरी में जारी फ्लाइट लॉग्स में ट्रंप का नाम सामने आया था। ट्रंप ने हमेशा एपस्टीन के अपराधों में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है।
जिन दस्तावेजों का सबसे ज्यादा इंतजार किया जा रहा है, वे अब भी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। इनमें एफबीआई द्वारा पीड़ितों के इंटरव्यू और न्याय विभाग के आंतरिक नोट्स शामिल हैं। ये दस्तावेज यह स्पष्ट कर सकते थे कि 2000 के दशक में एपस्टीन को संघीय आरोपों से कैसे राहत मिली।
पीड़ितों की नाराजगी
जारी फाइलों में कई पन्ने पूरी तरह से काले कर दिए गए हैं। एक 119 पन्नों का ग्रैंड जूरी दस्तावेज पूरी तरह से ब्लैक आउट है। इससे पीड़ितों और उनके समर्थकों में भारी नाराजगी है। न्याय विभाग ने कहा है कि दस्तावेज चरणबद्ध तरीके से जारी किए जाएंगे, जिससे पीड़ितों की पहचान सुरक्षित रहे। लेकिन यह अनिश्चित समयसीमा पीड़ितों के लिए एक और लंबा इंतजार बन गई है।