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डोनाल्ड ट्रंप का अंतरराष्ट्रीय छात्रों के प्रति नया दृष्टिकोण

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के महत्व पर जोर दिया है, यह कहते हुए कि उनकी संख्या में कमी लाना अमेरिका की शिक्षा प्रणाली के लिए विनाशकारी हो सकता है। उन्होंने विदेशी छात्रों को 'गुड फॉर बिजनेस' बताया और कहा कि इससे कॉलेजों की वित्तीय स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। ट्रंप का यह बयान उनके पूर्व के रुख से भिन्न है, जब उन्होंने आव्रजन को सीमित करने का समर्थन किया था। इस लेख में, हम ट्रंप के विचारों और उनके संभावित प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
 

अंतरराष्ट्रीय छात्रों का महत्व


नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इनकी संख्या में कमी लाना देश की शिक्षा प्रणाली के लिए 'विनाशकारी' हो सकता है.


विदेशी छात्रों को 'गुड फॉर बिजनेस' बताया

फॉक्स न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा कि विदेशी छात्र अमेरिका के विश्वविद्यालयों के लिए 'गुड फॉर बिजनेस' हैं, क्योंकि वे स्थानीय छात्रों की तुलना में दोगुनी फीस का भुगतान करते हैं और अरबों डॉलर की आय लाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे छात्रों को रोकना विश्वविद्यालयों के भविष्य के लिए गंभीर खतरा होगा.


कॉलेजों की वित्तीय स्थिति पर प्रभाव

ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि विदेशी छात्रों की संख्या में कमी आई, तो 'आधे अमेरिकी कॉलेज बंद हो जाएंगे.' उन्होंने बताया कि ये छात्र घरेलू छात्रों की तुलना में 'दो गुना से अधिक' फीस देते हैं, जिससे छोटे कॉलेजों और ऐतिहासिक रूप से ब्लैक यूनिवर्सिटीज को सहायता मिलती है. उन्होंने कहा, 'मैं इसे एक व्यवसाय के रूप में देखता हूं. हमारा शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए रखना आवश्यक है.'


पुराने रुख से भिन्नता

ट्रंप का यह बयान उनके पूर्व के विचारों से भिन्न है, जब उन्होंने आव्रजन और विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित करने का समर्थन किया था. साक्षात्कार में, उन्होंने फॉक्स न्यूज की एंकर लॉरा इंग्राहम के इस सुझाव को खारिज कर दिया कि विदेशी छात्रों को सीमित करने से अमेरिकियों को अधिक अवसर मिलेंगे. ट्रंप ने कहा कि इससे छोटे कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को नुकसान होगा.


वीजा नियमों पर उठे सवाल

ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में छात्र वीजा प्रक्रिया को कड़ा किया है. विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस वर्ष की शुरुआत में अमेरिकी दूतावासों को छात्र वीजा इंटरव्यू अस्थायी रूप से रोकने और बाद में सख्त जांच के साथ शुरू करने का निर्देश दिया था. इस कदम की आलोचना कई शैक्षणिक संस्थानों ने की थी, क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय दाखिले में कमी आई.


भारतीय छात्रों पर प्रभाव

ओईसीडी की 'इंटरनेशनल माइग्रेशन आउटलुक 2025' रिपोर्ट के अनुसार, वीजा नियमों और सीमित पोस्ट-स्टडी वर्क विकल्पों के कारण भारतीय छात्रों के दाखिलों में 39% की गिरावट आई है. फिर भी, भारत अमेरिका में सबसे अधिक छात्रों वाला देश बना हुआ है, जहां 2023–2024 शैक्षणिक वर्ष में 3,31,602 भारतीय छात्रों ने दाखिला लिया.