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डोनाल्ड ट्रंप का चीन-ताइवान पर बड़ा बयान: क्या है जिनपिंग का आश्वासन?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में चीन और ताइवान के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनके कार्यकाल के दौरान ताइवान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह बयान अमेरिका-चीन संबंधों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। ट्रंप ने यह भी चेतावनी दी कि यदि चीन ने ताइवान पर हमला किया, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। जानें इस मुद्दे पर ट्रंप की रणनीतिक अस्पष्टता और ताइवान संबंध अधिनियम के बारे में।
 

ट्रंप का महत्वपूर्ण बयान


नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को चीन और ताइवान के संबंध में एक महत्वपूर्ण बयान दिया। ट्रंप ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि उनके कार्यकाल के दौरान ताइवान पर कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह बयान अमेरिका-चीन संबंधों के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।


दक्षिण कोरिया में ट्रंप-जिनपिंग की मुलाकात

ट्रंप ने बताया कि उनकी जिनपिंग से मुलाकात दक्षिण कोरिया में हुई थी। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच बातचीत मुख्य रूप से अमेरिका-चीन व्यापार तनाव पर केंद्रित रही। ट्रंप ने कहा कि ताइवान का मुद्दा इस मुलाकात में विस्तार से नहीं उठाया गया, लेकिन उन्हें विश्वास है कि उनके कार्यकाल में चीन ताइवान के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगा।


ट्रंप की चेतावनी

ट्रंप ने एक इंटरव्यू में कहा कि हमने स्पष्ट कर दिया है कि यदि मेरे कार्यकाल के दौरान चीन ने ताइवान पर कोई कार्रवाई की, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। जिनपिंग इस बात को भली-भांति समझते हैं।


ट्रंप का इशारा इस ओर था कि चीन जानता है कि अमेरिका की प्रतिक्रिया कड़ी हो सकती है। अमेरिकी अधिकारी लंबे समय से चिंतित हैं कि चीन ताइवान पर सैन्य बल का इस्तेमाल कर सकता है। ताइवान एक स्वशासित द्वीप है, जिसे बीजिंग अपना हिस्सा मानता है और 'एक चीन' नीति के तहत उसका पुनर्मिलन चाहता है।


ताइवान संबंध अधिनियम क्या है?

1979 में लागू ताइवान संबंध अधिनियम अमेरिका और ताइवान के बीच संबंधों की नींव है। इस अधिनियम के तहत अमेरिका को सीधे सैन्य हस्तक्षेप करने की बाध्यता नहीं है, लेकिन यह सुनिश्चित करता है कि ताइवान के पास अपनी रक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन हों। इसका उद्देश्य बीजिंग द्वारा किसी एकतरफा सैन्य या राजनीतिक कदम को रोकना है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है।


रणनीतिक अस्पष्टता की नीति

जब ट्रंप से पूछा गया कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो क्या वह अमेरिकी सेना को हस्तक्षेप का आदेश देंगे, तो उन्होंने इस पर सीधा जवाब नहीं दिया। अमेरिका लंबे समय से रणनीतिक अस्पष्टता की नीति पर काम कर रहा है, यानी यह स्पष्ट नहीं करता कि ऐसे किसी हमले की स्थिति में वह सीधे युद्ध में शामिल होगा या नहीं।


यह नीति दोनों पक्षों को संतुलन में रखती है। यह चीन को चेतावनी देती है, लेकिन साथ ही ताइवान को भी अति-आत्मविश्वास से बचाती है।


जिनपिंग के रुख पर ट्रंप का भरोसा

ट्रंप ने कहा कि अगर कभी ऐसा हुआ (चीन ने हमला किया), तो सबको पता चल जाएगा कि इसका परिणाम क्या होगा। जिनपिंग समझते हैं कि इसकी कीमत बहुत भारी होगी। वॉशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि व्हाइट हाउस ने भी यह स्पष्ट नहीं किया कि जिनपिंग ने यह आश्वासन कब और किस स्तर पर दिया था।