दक्षिण अफ्रीका में G20 समिट: जलवायु परिवर्तन पर ऐतिहासिक घोषणा
G20 समिट में जलवायु परिवर्तन पर महत्वपूर्ण निर्णय
नई दिल्ली: दक्षिण अफ्रीका में आयोजित G20 समिट में जलवायु परिवर्तन से संबंधित एक महत्वपूर्ण घोषणा को मंजूरी दी गई, जिसे ऐतिहासिक माना जा रहा है। यह घोषणा उस समय की गई जब अमेरिका ने इस समिट का बहिष्कार किया हुआ था। इसके बावजूद, अन्य सभी सदस्य देशों ने इस डिक्लेरेशन का समर्थन किया।
रिपोर्टों के अनुसार, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने बताया कि अमेरिका को इस घोषणा के कुछ शब्दों पर आपत्ति थी, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पर दोबारा चर्चा नहीं की जाएगी। उनके इस बयान ने प्रिटोरिया और वॉशिंगटन के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया।
रामाफोसा ने समिट की शुरुआत में कहा कि जलवायु परिवर्तन की घोषणा पर व्यापक सहमति बनी है। आमतौर पर G20 डिक्लेरेशन समिट के अंत में अपनाया जाता है, लेकिन इस बार इसे शुरुआत में ही मंजूरी दी गई। राष्ट्रपति के प्रवक्ता विंसेंट मैग्वेन्या ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सभी देशों से इस फैसले को असामान्य रूप से मजबूत समर्थन मिला था।
दक्षिण अफ्रीका के अधिकारियों ने पुष्टि की कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनसे अनुरोध किया था कि उनकी अनुपस्थिति में कोई भी घोषणा पारित न की जाए। इसके बावजूद, मेजबान देश ने अपने एक साल के प्रयास को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
PM मोदी का समावेशी और टिकाऊ विकास पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G20 समिट में भाग लेने के लिए तीन दिन के दक्षिण अफ्रीका दौरे पर हैं। समिट के पहले सत्र में बोलते हुए उन्होंने कहा कि वैश्विक विकास के मानकों पर पुनर्विचार करने का समय आ गया है। उन्होंने X पर पोस्ट करते हुए कहा, 'G20 समिट के पहले सत्र में समावेशी और टिकाऊ विकास पर जोर दिया गया। अब समय है ऐसे विकास मॉडल को आगे बढ़ाने का, जो सभी को साथ लेकर चले और भविष्य के लिए टिकाऊ हो।'
पीएम मोदी ने यूके के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी सहित कई वैश्विक नेताओं से भी मुलाकात की।
अमेरिका का बॉयकॉट: कारण और प्रभाव
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने इस इवेंट का बहिष्कार किया क्योंकि समिट का एजेंडा विशेषकर जलवायु कार्रवाई और ऊर्जा संक्रमण अमेरिकी नीति से मेल नहीं खाता था। जलवायु परिवर्तन शब्द को डिक्लेरेशन में शामिल करना ट्रंप के रुख के प्रति एक स्पष्ट संदेश है। कई विश्लेषकों का मानना है कि इस घोषणा की भाषा से यह स्पष्ट होता है कि अन्य देश पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक सहमति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एकजुट होकर मजबूत करना चाहते हैं।